पत्तलों के औषधीय गुण

 


यह श्री पंकज अवधिया जी की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट है – विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के पत्तलों में भोजन करने के लाभ के विषय में। पढ़ने के लिये आप सीधे पोस्ट पर जायें। यदि आप उनके पहले के लेख पढ़ना चाहें तो कृपया पंकज अवधिया वर्ग पर क्लिक करें।


  कुछ वर्षो पूर्व मैं कोलकाता से आये एक धन्ना सेठ के मन्दबुद्धि बालक के साथ पारम्परिक चिकित्सकों से मिलने गया। पारम्परिक चिकित्सकों ने पूरी जाँच के बाद दवाए दीं और साथ ही कहा कि हर रविवार को पीपल के पत्तो से तैयार पत्तल मे खाना परोसा जाये। सबसे पहले गरम भात परोसा जाये और बालक उसे खाये। पीपल के पुराने वृक्ष से पत्तियाँ एकत्र करने को कहा गया। यह भी हिदायत दी गयी कि तालाबों के पास उग रहे पीपल से पत्तियाँ न लें। हर सप्ताह ताजी पत्तियो से बने पत्तल के उपयोग की बात कही गयी। बाद मे पारम्परिक चिकित्सको ने बताया कि पुराने रोग में वे इस प्रयोग को सहायक उपचार के रूप मे उपयोग करते हैं जबकि नये रोग में यह मुख्य उपचार के रूप मे उपयोग होता है।

 

आम तौर पर केले की पत्तियो मे खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों मे केले की पत्तियो पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है। आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियो का यह प्रयोग होने लगा है। हाल ही मे मुम्बई के एक सात सितारा होटल मालिक के आमंत्रण पर मै वहाँ ठहरा। उन्होने बताया कि वे केला अपने फार्म मे उगाते हैं। सुबह-सुबह जब मै फार्म पहुँचा तो कर्मचारी कीटनाशक का छिडकाव कर रहे थे। मै दंग रह गया। इन्ही पत्तियो को कुछ दिनो मे भोजन परोसने के लिये उपयोग किया जाना था। मैने आपत्ति दर्ज करायी। आशा के विपरीत उन्होने गल्ती मानी और कीट नियंत्रण के लिये जैविक उपाय अपनाने का वचन दिया।

 

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय मे पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग हम अपनी दिनचर्या मे करते है। शहरों मे तो लोग सा लों तक पत्तल मे भोजन नही करते हैं।

 

पीपल के अलावा बहुत सी वनस्पतियाँ है जिनसे तैयार पत्तल मे गरम भात खाने से लाभ होता है। रक्त की अशुद्धता   के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है। आम तौर पर लाल फूलो वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है।

 

जोडो के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है। लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है।

 

प्रतिवर्ष माहुल नामक वनस्पति से पत्तल बडे पैमाने पर वनवासियों द्वारा तैयार किये जाते है और फिर बड़ी मात्रा मे इसे दुनियां भर में बेचा जाता है। इस पत्तल की बडी माँग है। मेरा मानना है कि हम इस माँग का सही लाभ नही उठा पा रहे हैं। यदि पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान के आधार पर तैयार किये गये पत्तलो को उनके औषधीय गुणों की जानकारी के साथ बाजार मे लाया जाये तो पारम्परिक चिकित्सकों के अलावा वनवासियों को भी सही मायने मे बहुत लाभ मिल पायेगा। इससे देश का पारम्परिक ज्ञान भी बच जायेगा। मैने इस ज्ञान का दस्तावेजीकरण किया है पर अभी भी बहुत कुछ लिखना बाकी है।

 

सम्बन्धित आलेख:

Convert your food into medicine by serving it in Pattal of Indian state Chhattisgarh.

 

पंकज अवधिया

© इस लेख का सर्वाधिकार श्री पंकज अवधिया के पास सुरक्षित है।


क्या साहब!!! लोग सिल्वर स्पून ले कर पैदा होते हैं। चांदी-सोने के बर्तन में भोजन करते हैं। छींक आने पर डाक्टर आता है और उसकी सलाह पसन्द न हो तो सेकेण्ड/थर्ड ओपीनियन की भी कवायद होती है। और यह अवधिया जी हैं कि पत्तल में खिलाये बिना मानेंगे नहीं!

यह तो धनी लोगों के खिलाफ साम्यवादी साजिश लगती है। कि नहीं?!

वैसे आप ऊपर अंग्रेजी वाले लेख ले लिंक पर क्लिक कर पढ़ने का जोर लगायें; वहां बहुत जानकारी है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

11 thoughts on “पत्तलों के औषधीय गुण

  1. खाइए मगर उस पत्तल मे जिसमे सफ़ेद कीट न लगे हो .. आजकल भारी मात्रा मे कीटनाशक दवाओ का छिडकाव किया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने . आभार

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