ट्रैक्टर ट्रॉली का जू-जू


ट्रैक्टर और ट्रॉली का युग्म मुझे हाथी की तरह एक विचित्र जीव नजर आता है। हाथी में हर अंग अलग-अलग प्रकार का नजर आता है – एक लटकती सूंड़, दो तरह के दांत, भीमकाय शरीर और टुन्नी सी आंखें, जरा सी पूंछ। वैसे ही ट्रैक्टर-ट्रॉली में सब कुछ अलग-अलग सा नजर आता है। मानो फॉयरफॉक्सContinue reading “ट्रैक्टर ट्रॉली का जू-जू”

ब्लॉग पोस्ट में फोटो सब-टाइटल (कैप्शन) का जुगाड़


सिद्धार्थ जी फोटो पर कैप्शन लगाने के बारे में पूछ रहे थे। मेरी समझ में यह आया कि वे चित्र का विवरण देते शब्द चित्र के साथ चिपकाना चाहते हैं। ब्लॉगस्पॉट के पोस्ट एडीटर में यह सरलता से सम्भव नही। फ्लिकर से आप अपनी फोटो पर डिस्क्रिप्शन फील्ड में विवरण भर कर अगर सीधे ब्लॉगContinue reading “ब्लॉग पोस्ट में फोटो सब-टाइटल (कैप्शन) का जुगाड़”

फीडबर्नर अनुसार मेरी दस सबसे लोकप्रिय पोस्टें


फीडबर्नर कई प्रकार के आंकड़े देता है। एक है अब तक के सर्वाधिक व्यू और क्लिक्स के आधार पर लोकप्रिय पोस्टों के आंकड़े। इसके आधार पर मेरी अब तक की सर्वाधिक व्यू/क्लिक की गयी पोस्टें हैं – फोटो में कैप्शन लगाने की तकनीक २२ अक्तूबर २००७ डुप्लीकेट सामान बनाने का हुनर १८ अक्तूबर २००७ ई-पण्डितContinue reading “फीडबर्नर अनुसार मेरी दस सबसे लोकप्रिय पोस्टें”

राजाराम मांझी


डा. एन के कल्ला नाम तो ऐसा लग रहा है जैसे कोई स्वतंत्रता सेनानी हो। जैसे तिलका मांझी। मैं इन सज्जन पर न लिखता अगर डा. एन के कल्ला ने एक रेखाचित्र बना कर मेरी ओर न सरकाया होता। डा. कल्ला हमारे चीफ मैडिकल डायरेक्टर हैं। हम उत्तर-मध्य रेलवे की क्षेत्रीय उपभोक्ता सलाहकार समिति कीContinue reading “राजाराम मांझी”

जंगली वृक्षों से शहरी पर्यावरण सुधार का नियोजन करें


यह है श्री पंकज अवधिया का बुधवासरीय अतिथि लेख। आप पहले के लेख पंकज अवधिया पर लेबल सर्च से देख सकते हैं। इस पोस्ट में पंकज जी शहरों के पर्यावरण सुधार के लिये भारतीय जंगली वृक्षों के नियोजित रोपण की बात कर रहे हैं। जब गर्मियो मे हमारा काफिला जंगलो से गुजरता है तो अक्सरContinue reading “जंगली वृक्षों से शहरी पर्यावरण सुधार का नियोजन करें”

मंगल सिंह का शहरीकरण


मैने उत्तर-मध्य रेलवे की क्षेत्रीय उपभोक्ता सलाहकार समिति की पिछली बैठक पर एक पोस्ट लिखी थी – “जय हिन्द, जय भारत, जय लालू”। यह पोस्ट २५ अक्तूबर २००७ को लिखी गयी थी। उसमें एक ऐसे रस्टिक सज्जन का जिक्र था जो ७७ वर्ष के थे, ठेठ गंवई तरीके से भाषण दे रहे थे। उनके भाषणContinue reading “मंगल सिंह का शहरीकरण”