गंगा किनारे एक शाम


सूर्यास्त के समय गंगा का दांया तट, इलाहाबाद मां गंगा मेरे घर से ५००-७०० कदम पर हैं। आज गंगा किनारे गया शाम को। गंगा में पानी बहुत बढ़ा नहीं है, पर शुरुआत की बारिश से बहाव तेज हो गया है। कोटेश्वर महादेव (वह स्थान जहां राम जी ने वन जाते समय गंगा पार कर शिवContinue reading “गंगा किनारे एक शाम”

अशोक पाण्डेय, उत्कृष्टता, खेतीबाड़ी और दोषदर्शन


मैं सामान्यत: एक पत्रकार के विषय में नहीं लिखना/टिप्पणी करना चाहूंगा। किसी जमाने में बी.जी. वर्गीश, प्रभाष जोशी और अरुण शौरी का प्रशंसक था। अब पत्रकारिता पर उस स्तर की श्रद्धा नहीं रही। पर आज मैं एक पत्रकार के बारे में लिख रहा हूं। अशोक पाण्डेय (इस लिये नहीं कि यह सज्जन पाण्डेय हैं) केContinue reading “अशोक पाण्डेय, उत्कृष्टता, खेतीबाड़ी और दोषदर्शन”

गालिब या मीर – मुझे तो लोग जमे ब्लॉगरी-ए-हिन्दी में!


शिवकुमार मिश्र लिखते हैं एक पोस्ट – तुम मीर हो या गालिब? और लगता है कि हम लोग जनाब राजेश रोशन जी को अहो रूपम- अहो ध्वनि वाले लगते हैं! अर हम लोग हैं भी! नहीं तो इस ब्लॉगरी में समय लगाने कौन आये! मैं अपनी कई पोस्टों में इस फिनॉमिना के बारे में लिखContinue reading “गालिब या मीर – मुझे तो लोग जमे ब्लॉगरी-ए-हिन्दी में!”

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