ढ़पोरशंखी कर्मकाण्ड और बौराये लोग


सामान्यत: हिन्दी का अखबार मेरे हाथ नहीं लगता। सवेरे मेरे पिताजी पढ़ते हैं। उसके बाद मैं काम में व्यस्त हो जाता हूं। निम्न मध्यवर्गीय आस-पड़ोस के चलते दिन में वह अखबार आस पड़ोस वाले मांग ले जाते हैं। शाम के समय घर लौटने पर वह दीखता नहीं और दीखता भी है तो भांति-भांति के लोगोंContinue reading “ढ़पोरशंखी कर्मकाण्ड और बौराये लोग”

भारत में चुनाव और पी-फैक्टर


बहुत हो गया मंहगाई, आतंक, बाढ़, गोधरा, हिन्दू-मुस्लिम खाई, सिंगूर। अगले चुनाव में यह सब कुछ चलेगा। पर इस राग दरबारी में पहले से अलग क्या होगा? वही पुराना गायन – एण्ट्री पोल, एग्जिट पोल, पोल खोल … पैनल डिस्कशन … फलाने दुआ, ढिमाके रंगराजन। चेंज लाओ भाई।  पालिन और जरदारी – सीफी न्यूज आपनेContinue reading “भारत में चुनाव और पी-फैक्टर”

पिछली बार टाई कब पहनी मैने?


एक मेरी बहुत पुरानी फोटो है, बिना टाई की| मुझे याद नहीं कि मैने अन्तिम बार टाई कब पहनी। आजकल तो ग्रामीण स्कूल में भी बच्चे टाई पहने दीखते हैं। मैं तो म्यूनिसेपाल्टी/सरकारी/कस्बाई स्कूलों में पढ़ा जहां टाई नहीं होती थी। मास्टरों के पास भी नहीं होती थी। मुझे यह याद है कि मैं सिविलContinue reading “पिछली बार टाई कब पहनी मैने?”

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