पिछली बार भी वे ईद से पहले आये और इसी तरह का ऑपरेशन किया था। इसकी पूरी – पक्की जांच होनी चाहिये और यह सिद्ध होना चाहिये कि पुलीस ने जिन्हें मारा वे सही में आतंकवादी थे।" – सलीम मुहम्मद, एक स्थानीय निवासी। ———- एस ए आर गीलानी, दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यापक, जिन्हें २००१ केContinue reading “क्या सच है?”
Monthly Archives: Sep 2008
सर्चने का नजरिया बदला!
@@ सर्चना = सर्च करना @@ मुझे एक दशक पहले की याद है। उस जमाने में इण्टरनेट एक्प्लोरर खड़खड़िया था। पॉप-अप विण्डो पटापट खोलता था। एक बन्द करो तो दूसरी खुल जाती थी। इस ब्राउजर की कमजोरी का नफा विशेषत: पॉर्नो साइट्स उठाती थीं। और कोई ब्राउजर टक्कर में थे नहीं। बम्बई गया था मैं।Continue reading “सर्चने का नजरिया बदला!”
आइये अपने मुखौटे भंजित करें हम!
मुखौटा माने फसाड (facade – एक नकली या बनावटी पक्ष या प्रभाव)। लोगों के समक्ष हम सज्जन लगना चाहते हैं। मन में कायरता के भाव होने पर भी हम अपने को शेर दिखाते हैं। अज्ञ या अल्पज्ञ होने के बावजूद भी अपने को सर्वज्ञाता प्रदर्शित करने का स्वांग रचते हैं। यह जो भी हम अपनेContinue reading “आइये अपने मुखौटे भंजित करें हम!”
