आजके दिन कुछ ज्यादा चहल-पहल है गंगा तट पर। नागपंचमी है। स्नानार्थियों की संख्या बढ़ गयी है। एक को मैने कहते सुना – इहां रोजिन्ना आते थे। आजकल सिस्टिम गडअबड़ाइ गवा है (रोज आते थे गंगा तट पर, आजकल सिस्टम कुछ गड़बड़ा गया है)। भला, नागपंचमी ने सिस्टम ठीक कर दिया। कल ये आयेंगे? कहContinue reading “नागपंचमी”
Monthly Archives: Jul 2009
आदर्श और विचारधारा का द्वन्द्व
एक विचारधारा (Ideology) में बन्द होना आपको एक वर्ग में शामिल करा कर सिक्यूरिटी फीलिंग देता है। आप वामपंथी गोल वाली विचारधारा का वरण करें तो फोकट फण्ड में क्रान्तिकारी छाप हो जाते हैं। आप दक्षिणपंथी विचारधारा के हों तो आर.एस.एस. की शाखाओं में बौद्धिक ठेल सकते हैं। ज्यादा रिफाइण्ड ठेलते हों तो आप साहित्यकारContinue reading “आदर्श और विचारधारा का द्वन्द्व”
दारागंज का पण्डा
गंगा के शिवकुटी के तट पर बहती धारा में वह अधेड़ जलकुम्भी उखाड़-उखाड़ कर बहा रहा था। घुटनो के ऊपर तक पानी में था और नेकर भर पहने था। जलकुम्भी बहा कर कहता था – जा, दारागंज जा! बीच बीच में नारा लगाता था – बोल धड़ाधड़ राधे राधे! बोल मथुरा बृन्दाबन बिहारी धाम कीContinue reading “दारागंज का पण्डा”
