आज सवेरे कोहरे में दफ्तर आते समय दृष्यता २५-५० मीटर से अधिक न थी। वाहन अपनी हेडलाइट्स जलाये हुये थे। यह सवेरे १० बजे का हाल था। पिछले कई दिनों से मेरी सोच कोहरे पर केन्द्रित है। उत्तर-मध्य रेलवे पर कई रीयर-एण्ड टक्क्तरें हुईं सवारी गाड़ियों की। इस बात पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे किContinue reading “कोहरा”
Monthly Archives: Jan 2010
ब्लॉगिंग की सीमायें
कहां रुके एक ब्लॉगर? मैं सोचता हूं, सो मैं पोस्ट बनाता हूं। सोच हमेशा ही पवित्र होती तो मैं ऋषि बन गया होता। सोचने में बहुत कूछ फिल्थ होता है। उच्छिष्ट! उसे कहने का भी मन नहीं होता, पोस्ट करने की बात दूर रही। जिस सोच के सम्प्रेषण का मन करे, वह बात पोस्ट बनानेContinue reading “ब्लॉगिंग की सीमायें”
मालगाड़ी के इंजन पर ज्ञानदत्त
इलाहाबाद में आती मालगाड़ी, जिसपर मैने फुटप्लेट निरीक्षण किया। नेपथ्य में कोहरे के अवशेष देख सकते हैं आप। यह कोई नई बात नहीं है। रेलवे इंजन पर चढ़ते उतरते तीसरे दशक का उत्तरार्ध है। पर रेलवे के बाहर इंजन पर फुटप्लेट निरीक्षण (footplate inspection) को अभिव्यक्त करने का शायद यह पहला मौका है। मुझे अस्सीContinue reading “मालगाड़ी के इंजन पर ज्ञानदत्त”
