बच्चों को पढ़ाना – एक घरेलू टिप्पणी


मेरी पत्नीजी (रीता पाण्डेय) की प्रवीण पाण्डेय की पिछली पोस्ट पर यह टिप्पणी प्रवीण पर कम, मुझ पर कहीं गम्भीर प्रहार है। प्रवीण ने बच्चों को पढ़ाने का दायित्व स्वीकार कर और उसका सफलता पूर्वक निर्वहन कर मुझे निशाने पर ला दिया है। समस्या यह है कि मेरे ऊपर इस टिप्पणी को टाइप कर पोस्टContinue reading “बच्चों को पढ़ाना – एक घरेलू टिप्पणी”

बच्चों की परीक्षायें बनाम घर घर की कहानी


मार्च का महीना सबके लिये ही व्यस्तता की पराकाष्ठा है। वर्ष भर के सारे कार्य इन स्वधन्य 31 दिनों में अपनी निष्पत्ति पा जाते हैं। रेलवे के वाणिज्यिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिये अपने सहयोगी अधिकारियों और कर्मचारियों का पूर्ण सहयोग मिल रहा है पर एक ऐसा कार्य है जिसमें मैं नितान्त अकेला खड़ा हूँ,Continue reading “बच्चों की परीक्षायें बनाम घर घर की कहानी”

नत्तू पांड़े, नत्तू पांड़े कहां गये थे?


नत्तू पांड़े नत्तू पांड़े कहां गये थे? झूले में अपने सो रहे थे सपना खराब आया रो पड़े थे मम्मी ने हाल पूछा हंस गये थे पापा के कहने पे बोल पड़े थे संजय ने हाथ पकड़ा डर गये थे वाकर में धक्का लगा चल पड़े थे नत्तू पांड़े नत्तू पांड़े कहां गये थे?!  Continue reading “नत्तू पांड़े, नत्तू पांड़े कहां गये थे?”

Design a site like this with WordPress.com
Get started