चूनी की रोटी


बारह बिस्वा में अरहर बुवाई थी। कुल बारह किलो मिली। अधिया पर बोने वाले को नफा नहीं हुआ। केवल रँहठा (अरहर का सूखा तना) भर मिला होगा। बारह किलो अरहर का अनुष्ठान चलने वाला है – कहुलने (तसला में गर्म करने) और फिर उसे चकरी में दलने का। घर के कोने अंतरे में रखी चकरीContinue reading “चूनी की रोटी”

आत्मोन्नति और अपमान


एक जवान आदमी आत्मोन्नति के पथ पर चलना चाहता था। उसे एबॉट (abbot – मठाधीश) ने कहा – जाओ, साल भर तक प्रत्येक उस आदमी को, जो तुम्हारा अपमान करे, एक सिक्का दो। अगले बारह महीने तक उस जवान ने प्रत्येक अपमान करने वाले को एक सिक्का दिया। साल पूरा होने पर वह मठाधीश केContinue reading “आत्मोन्नति और अपमान”

ड्रीम गर्ल


पिछले दिनों हेमामालिनीजी का बंगलोर आगमन हुआ। आमन्त्रण रेलवे की महिला कल्याण समिति का था। कृष्ण की लीलाओं पर आधारित एक मन्त्रमुग्ध कर देने वाली नृत्य नाटिका प्रस्तुत की उन्होने। कुल 60 कलाकारों का विलक्षण प्रदर्शन, ऐसा लगा कि वृन्दावन उतर कर आपके सामने अठखेलियाँ कर रहा हो। मैं ठगा सा बैठा बस देखता हीContinue reading “ड्रीम गर्ल”

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