हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में एक जुमला उछला था कि यह खाये-पिये-अघाये लोगों का मनोविनोद है। सुनने में खराब लगता था, पर सच भी लगता था।
हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में एक जुमला उछला था कि यह खाये-पिये-अघाये लोगों का मनोविनोद है। सुनने में खराब लगता था, पर सच भी लगता था।