पूर्वोत्तर भारत के बारे में गलत सोच


मेरे सामने ताज बनजारा होटल के डिनर की टेबल पर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य मालभाड़ा यातायात प्रबन्धक श्री एन.के.. सचान बैठे थे। श्री सचान पिछले साल भर से अधिक हुआ, गुवाहाटी में रह रहे हैं। हम या तो यूंही इधर उधर की बात कर सकते थे, या रेल विषयक दिन की बात चीत काContinue reading “पूर्वोत्तर भारत के बारे में गलत सोच”

सेवाग्राम का प्लेटफार्म


दक्खिन एक्स्प्रेस किसी स्टेशन पर रुकी है मैं यूंही दरवाजा खोल बाहर झांक लेता हूं – यह तो सेवाग्राम है। विनोबा का आश्रम यहां पर है। स्टेशन का बोर्ड सामने है। उसका चित्र उतार लेता हूं मोबाइल से। और न जाने कितने गये – बेतूल आमला मुलताई चिंचोडा … किसी का नहीं उतारा। नागपुर स्टेशनContinue reading “सेवाग्राम का प्लेटफार्म”

गंगा तीरे बयानी


चार दिन पहले जवाहिर लाल गंगाजी की धारा के पास रेती में बैठा दिखा था। सामान्यत वह सवेरे घण्टा भर पण्डाजी की चौकी के बगल में कछार को छूते तट के करार की जमीन पर बैठा मुखारी करता पाया जाता था। पण्डा जी ने बताया कि एक दो दिन पहले उसकी फलाने परसाद से कहाContinue reading “गंगा तीरे बयानी”

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