
रेल की पटरियों को काटते हुये सड़क यातायात निकलता है और जिस स्थान पर यह गतिविधि होती है, उसे लेवल क्रॉसिंग गेट (समपार फाटक) कहा जाता है। समपार फाटक रेल (और सड़क) यातायात में असुरक्षा का एक घटक जोड़ देते हैं।
जैसे जैसे रेल और सड़क यातायात बढ़ रहा है, उनके गुणे के अनुपात में समपार फाटक की घटनाओं/दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। अगर दुर्घटनायें नहीं भी होती, तो भी सड़क वाहन द्वारा समपार फाटक क्षतिग्रस्त करने की दशा में सुरक्षा नियमों के अंतर्गत ट्रेनों की गति कम करनी पड़ती है और रेल यातायात प्रभावित होता है।
रेलवे का बस चले तो सभी समपार बन्द कर या तो ओवरब्रिज बना दिये जायें, या अण्डरब्रिज। पर ओवरब्रिज बनाना बहुत खर्चीला है और परियोजना पूरा होने में बहुत समय लेती है। यह तभी फायदेमन्द है जब समपार पर रेलxरोड का यातायात बहुत ज्यादा हो। इन परियोजनाओं में रेलवे और राज्य प्रशासन की बराबर की भागीदारी होती है। बहुधा दोनों के बीच तालमेल के मुद्दे बहुत समय ले लेते हैं।
इनकी बजाय कम ऊंचाई की पुलिया (लिमिटेड हाइट सब-वे) बनाना ज्यादा आसान उपाय है। तकनीकी विकास से यह कार्य त्वरित गति से किया जा सकता है।
लिमिटेड हाइट सब वे (एलएचएस) बनाने की एक तकनीक कट एण्ड कवर की है। इसके लिये पांच छ घण्टे के लिये रेल यातायात रोक दिया जाता है। इस समय में चौकोर गढ्ढा खोद कर उसमें पुलिया के आकार की प्री-फेब्रीकेटेड कॉंक्रीट की चौखट फिट कर दी जाती है। इन्ही पांच छ घण्टे में चौखट के आस पास मिट्टी भर कर उसके ऊपर रेल पटरी पूर्ववत बैठा दी जाती है। छ घण्टे बाद रेल यातायात निबाध गति से प्रारम्भ हो जाता है।
इस चौखट में सड़क बिछाने का काम रेल यातायात को बिना प्रभावित किये पूरा कर लिया जाता है। कुछ ही दिनों में बिना समपार फाटक के सड़क यातायात निर्बाध चलने लगता है।
रेलवे ने इस तरह के कट एण्ड कवर तकनीक से बहुत से समपार फाटकों को एलएचएस बना कर समाप्त करने की योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत हमारे झांसी मण्डल में ग्वालियर और झांसी के बीच आंत्री और सन्दलपुर के बीच अप लाइन (ग्वालियर से झांसी जाने वाली) पर एक समपार को इस तकनीक से इसी महीने बदला गया। इस तकनीक से उत्तर मध्य रेलवे पर यह पहला कार्य था। छ अप्रेल के दिन सवेरे सात बजे से सवा बारह बजे के बीच यह कार्य किया गया। इस दौरान कुछ सवारी गाड़ियां डाउन लाइन (झांसी से ग्वालियर जाने वाली) की रेल पटरी से निकाली गयीं।
कार्य विधिवत और समय से सम्पन्न हुआ। मेरे झांसी रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल परिचालन प्रबन्धक श्री एखलाक अहमद ने मुझे इस कार्य के चित्र भेजे हैं, जिन्हे आप नीचे स्लाइड-शो में देख कर अनुमान लगा सकते हैं कि किस प्रकार यह कार्य सम्पन्न हुआ होगा।
तकनीक साझा करने के लिये बहुत बहुत शुक्रिया जनाब ………………..
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ब्लॉग बुलेटिन में एक बार फिर से हाज़िर हुआ हूँ, एक नए बुलेटिन “जिंदगी की जद्दोजहद और ब्लॉग बुलेटिन” लेकर, जिसमें आपकी पोस्ट की भी चर्चा है.
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अच्छा तरीका है…
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Sir, your blog is very very informative u r an motivator for me
http://millionsontheweb.wordpress.com/
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काटो, बिछाओ, चलो तकनीक शानदार है।
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नई तकनीक स्वागतेय है ।आपका स्लाइड शो बहुत अच्छा रहा ।
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is technique ke dwara to chaurahe bhi red-light free kiye ja sakte hain. Aur jahan red-light na ho wahan bhi yatayat niyantrit aur surakshit karne ke liye accha tarika hai. Kya koi aisi pariyojna aayi hai aapki nazar mein?
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रोड-टू-रोड क्रॉसिंग के लिये इसका प्रयोग तो नहीं सुना।
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इस तकनीक का हुबहू नहीं परंतु इसका भव्य रूप आप बैंगलोर में अंडरपास के रूप मॆं देख सकते हैं, जिससे बहुत सारे चौराहों को लाल बत्ती फ़्री कर दिया गया है ।
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लिमिटेड हाईट सब के फायदे अधिक हैं नुक्सान कम…नुक्सान सिर्फ बारिश के दिनों में होता है जब पानी इस लो लेवल में भर जाता है और सड़क यातायात अटक जाता है…मुंबई का मिलिन सब वे इसका जीता जागता उधाहरण है…लेकिन ऐसा हर कहीं नहीं होता…इस जानकारी के लिए आपका आभार…
नीरज
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मेरे दफतर के पास एक लिमिटेड हाइट सब-वे है। उसमें पानी नहीं भरता। कभी उसका फोटो/विवरण प्रस्तुत करूंगा।
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बहुत ही अच्छा उदाहरण रेलवे अभियांत्रिक सेवा का.. मुझे याद आया जब दिल्ली में मेट्रो रेल का काम चल रहा था और भूमिगत कार्य बाराखम्बा रोड और कनॉट प्लेस के बीच हो रहा था.. यह सड़क दिल्ली की व्यस्ततम सडकों में से एक है.. किन्तु उन्होंने पहले एक डायवर्सन के ज़रिये पक्की सड़क बनायी और फिर मुख्य सड़क को बंद किया.. पूरे निर्माण कार्य के दौरान यातायात तनिक भी बाधित नहीं हुआ!!
बहुत अच्छी जानकारी!!
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रेल पुल पर भी डायवर्शन डाल कर ट्रेने चलाने और पुल की मरम्मत का काम किया जाता है।
[लगता है गंगाजी के कछार पर लिखने का मसाला न होता तो इसी तरह की चीजें ब्लॉग पर डाल कर मानसिक हलचल को धकाया जा सकता था! 🙂 ]
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dono ka kambo pack chalta rahe? harz kya hai?
suna pichle dino aswasth rahe…….ab kaise hain?
pranam.
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नमस्कार संजय। अब ठीक ठाक है।
धन्यवाद।
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jaakaari ke liye dhanyavaad.chitron dwara varnan badhiya raha.
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