
प्रवीण पाण्डेय यहाँ थे कल और आज। वाराणसी में पदस्थापित हुये हैं। दोपहर की किसी गाड़ी से जा रहे हैं बनारस। पता नहीं किसी ने सलाह दी या नहीं, कि पहले काशी कोतवाल – काल भैरव को नमस्कार करना चाहिये। फिर उस कर्म क्षेत्र में प्रवेश जो भयंकर अराजकता का सौन्दर्य अपने में समाहित किये है।
Kashi is the order of tremendous disorder. अंग्रेजी में इस लिये लिख रहा हूं कि मेरी पत्नीजी इसपर ध्यान न दें।
उस दिन फेसबुक पर अनूप सुकुल ने काशी के बारे में अण्ड-बण्ड लिखा था तो श्रीमती रीता पांड़े आगबबूला थीं। “इनको गंद नहीं दिखता जो गंगा में मचाया है कानपुरियों ने?!” सुकुल पलट कर रियेक्ट नहीं किये। प्रवीण भी कानपुरिया हैं – कानपुर के आईआईटी के पढ़े, और जब तक बनारस रहें, कम से कम मेरी पत्नीजी के समक्ष काशी की महानता का भजन गाना ही पड़ेगा।
===
खैर काशी की बात एक तरफ। यहां गोरखपुर में समरागमन – गर्मियों का आगमन – हो रहा है। आज लंच के लिये घर जाते मेरा वाहन चालू नहीं हुआ और पैदल घर जाना पड़ा। रास्ता कटने में दिक्कत तो नहीं हुई, पर यह जरूर लगा कि वाहन पर निर्भरता खत्म कर गर्मियों के लिये एक साइकल खरीद ली जाये – घर से दफ्तर कम्यूट करने के लिये। एक आध नन्दन निलेकनी छाप फोटो लगाई जा सकेगी साइकल चलाते हुये। अन्यथा इस पारम्परिक रेलवे – पूर्वोत्तर रेलवे में साहेब का साइकल पर चलना प्रोटोकॉल के भयंकर खिलाफ है! 😆
===

इलाहाबाद के कछार की तरह यहां 100-200 मीटर की एक पट्टी खोज ली है मैने गोल्फ कालोनी में। उसमें साखू (शाल) के विशालकाय वृक्ष हैं और दो पेड़ चीड़ के भी हैं। चीड़ (pine) और देवदार का गोरखपुर जैसे स्थान में होना अपने आप में विस्मय की बात है। हमारे हॉर्टीकल्चर के सीनियर सेक्शन इंजीनियर श्री रणवीर सिंह ने बताया कि चार पांच चीड़ हैं गोरखपुर रेलवे कलोनी में। उन्हे निहारना, चित्र खींचना और ब्लॉग पोस्टों में ठेलना अपने आप में कछार पर लिखने जैसा कार्य है।
माने; प्रयाग में गंगा किनारे का कछार था तो यहां 100-200 मीटर गोल्फ कॉलोनी का गोल्फार!
बांस के कई झुरमुट हैं इस कॉलोनी में महाप्रबन्धक महोदय के आवास “ईशान” में। तेज हवा चलने पर बांस आपस में टकरा कर खट्ट-खट्ट की तेज आवाज करते हैं। असल में उनकी तेज आवाज के कारण ही मेरा ध्यान उनकी ओर गया। शानदार झुरमुट। गांव में ये होते तो आजी नानी कहतीं – “अरे ओहर जिनि जायअ। बंसवारी में फलनवा परेत और ढिमकिया चुरईल रहथअ! (अरे, उस ओर मत जाना। बंसवारी में फलाने प्रेत और ढिमाकी चुड़ैल रहती हैं!)”
गोल्फार के चीड़, शालवन और बंसवारी! … रहने और लिखने के लिये और क्या चाहिये बन्धु!? गोरखपुर जिन्दाबाद!

यद्यपि यह सलाह बाद में पढ़ी पर अगले दिन कार्यभार लेने के पहले, गंगा स्नान, कालभैरव का आज्ञापत्र, काशीनाथ के दर्शन और संकटमोचन का अभयदान ले लिया था। चार स्तरीय सुरक्षा का आश्वासन लेकर ही कार्य में जुटे हैं। हमारी माताजी के नानाजी भी बनारस के थे, अब तो आलोचना का प्रश्न ही नहीं उठता है।
LikeLike
आप का अंदाज मीडिया के चैनलों की तरह है। कहा कुछ होगा- बता कुछ रहे हैं। इसलिये भाभी जी की बात पर कोई बयान जारी न करेंगे।
बकिया बनारस के बारे में सुना हुआ जुमला दोहराये देते हैं: varanasi is a city which have refused to modernize it self.
प्रवीण जी का बनारस प्रवास चकाचक रहे।
जय हो।
LikeLike
अच्छा, जब उनसे मिलेंगे, तब निपटियेगा।
LikeLike
मन चंगा तो कठौती में गंगा की तरह आपने गोरखपुर में “कछार” खोज लिया है. ध्वजा की तरह खड-ए हुए ये वृक्ष देवदार के और पता नहीं कैसी कैसी आवाज़ें निकालती बँसवाड़ी. हमारे लिये तो आपको पढना ही गोल्फार के सफर से कम शीतलता प्रदान करने वाला नहीं.
हमरी अम्मा बनारस की हैं, तो हम्रे लिये भी भोले नाथ के तिरशूल पर बसी नगरिया पूज्य है!
LikeLiked by 1 person
जिसे काशी की भयंकर अराजकता और प्रलयंकर गन्दगी प्रियंकर न लगे उसे काशी में रहने का क्या हक ? वह तो सिर्फ काशी कोतवाल और रीता जी जैसे काशीप्रेमियों के कोप का भागी ही हो सकता है ।
कई बार आँखें खुलने वाला मुहावरा घर लौट कर चरितार्थ होता है सो प्रवीण बाबू के स्थानीय दिन ठीकठाक कटें भगवान भूतनाथ से यही प्रार्थना है । कहाँ बंगलोर और कहाँ वाराणसी, सिर्फ नामराशि एक होने से थोड़े होता है । ग्राउंड रियलिटी भी देखनी होती है । वैसे जब कानपुर में रह लिए हैं तो निभा ले जाएंगे । 🙂
LikeLike
मैं तो बस बनारस और भगवान भूतनाथ की जय ही बोलूंगा। उससे न केवल भोलेनाथ का प्रिय बनूंगा, पारिवारिक माहौल भी आनन्दमय रहेगा! 🙂
LikeLike
प्रवीण पांडेजी वाराणसी में?
क्या उनका Transfer हुआ है?
कब से?
April Fool Joke तो नहीं?
कैलिफ़ोर्निया में छ: महीने रहककर हम भारत लौट आएं हैं ।
शुभकामनाएं
GV
LikeLike
जी, यह पहली अप्रेल को नहीं, 31 मार्च को था, जब प्रवीण ने पूर्वोत्तर रेलवे ज्वाइन किया।
LikeLike
अब आपको गोरखपुर भाने लगा है अच्छा तो प्रवीण पाण्डे जी बनारस आ गए!
LikeLike
Sadar Pranam Pandeyji ! naye varsh ki shubh kamanayen. kripaya mijhe 09869606696 par phone kariye. with warm regards/satyanarayan pandey
Date: Tue, 1 Apr 2014 11:05:00 +0000
To: p.satyanarayan@hotmail.com
LikeLike