शैलेश पाण्डेय – वाराणसी से नागालैण्ड यात्रा विवरण – 2 #ALAKH2011

पिछली पोस्ट में था कि पूर्वोत्तर के विषय में जानकारी बढ़ाने और उसे सोशल मीडिया पर साझा करने के ध्येय से शैलेश पाण्डेय ने नागालैण्ड की यात्रा प्रारम्भ की। अकेले। वाराणसी से। मुगलसराय से ट्रेन पकड़ वे कलकत्ता पंहुचे और वहां से कामरूप एक्स्प्रेस से दीमापुर के लिये रवाना हुये – 10 नवम्बर की शाम को। आगे – 10 नवम्बर की शाम।

कामरूप एक्स्प्रेस के प्लेटफार्म पर लगने की प्रतीक्षा में हावड़ा स्टेशन पर।
कामरूप एक्स्प्रेस के प्लेटफार्म पर लगने की प्रतीक्षा में हावड़ा स्टेशन पर।

मै कामरूप एक्स्प्रेस के प्लेटफ़ार्म पर लगने की प्रतीक्षा कर रहा हू। सभी कर रहे है। आगे अठ्ठाईस घण्टे की यात्रा है। टिकट लिया है स्लीपर क्लास का। इस लिये कि कल दिन भर असम देखने की सहूलियत रहे खिड़की से।

बढ़िया। मौसम अच्छा है। स्लीपर क्लास की यात्रा किफायती भी है और सुविधाजनक भी। कामरूप का क्षेत्र तो योगिनियों के मिथकों से भरा पड़ा है। अगर यात्रा में कोई दिखे तो बताना! J

तीन साल पहले मैने एक ब्लॉग पोस्ट लिखी थी कि लोगों के मन में बहुत भ्रान्तियां हैं असम/पूर्वोत्तर के बारे में। उस गलत ईमेज को बदलने की जरूरत है।

आपने चिन्ता व्यक्त की, और मैने इसपर कार्य प्रारम्भ भी कर दिया है!

पास के सहयात्री ने साड़ी खरीदी 100 रुपये में!
पास के सहयात्री ने साड़ी खरीदी 100 रुपये में!

यह प्लेटफार्म पर ट्रेन आ गयी है जो मुझे गन्तव्य की ओर ले जायेगी। वह गन्तव्य, जिसके बारे में मुझे अन्दाज भर है। ट्रेन समय से खुलती है – 17:35 पर। और ट्रेन में तरह तरह का सामान बेचने वाले आ घुसे हैं। पजामे का नाड़ा, सेफ्टी-पिन, साड़ी, टॉर्च और जाने क्या क्या! पास वालों ने 100 रुपये में साड़ी खरीदी है।

वाह! 100 रुपये में साड़ी?! थोक में तो 50-60 की पड़ेगी। इतने सस्ते कपड़े से तो पूरे भारत की गरीबी को ढंका जा सकता है!

हां!

उसके बाद शैलेश का सन्देश 11 नवम्बर को साढ़े आठ बजे ही मिला। सम्भवत: यात्रा की थकान से रात में जल्दी और गहरी नींद आयी हो। मोबाइल की बैटरी भी डिस्चार्ज हो गयी थी। स्लीपर क्लास के कोच में लगे चार्जर से चार्ज करने के बाद सन्देश दिया था अगले दिन।

जाने क्या का मिल रहा था कामरूप एक्स्प्रेस के कोच में।
जाने क्या क्या बेचने वाले आ रहे थे कामरूप एक्स्प्रेस के कोच में।

इस पावर बैंक की मदद से मैं यह सन्देश दे पा रहा हूं। भारतीय रेलवे को धन्यवाद।

स्लीपर कोच में बैटरी चार्जिंग सुविधा।
स्लीपर कोच में बैटरी चार्जिंग सुविधा।

बहुत लोग इसका प्रयोग कर रहे होंगे? और यह स्लीपर क्लास में भी है?!

हां, कई लगे हैं। लोग खूब इस्तेमाल करते हैं। तभी एक खराब भी हो गया है।

मुझे याद आता है कि हमारे बिजली विभाग वाले इसको न लगाने के लिये तर्क दे रहे थे कि लोग इसका दुरुपयोग करते हैं। इससे पानी भी गरम करते हैं। और ज्यादा करेण्ट खींचने से कोच में आग लगने का भी खतरा होता है।

वाह! वाटर हीटर चलाना! भारतवासी मस्त लोग हैं!

एक वेण्डर् कोच में स्विश-चाकू भी बेच रहा है। उसने 250रुपये कीमत बताई और मेरे पास के एक यात्री ने मोलभाव कर 50 में खरीदा। मैं तो न खरीदूं। चीन का बना है। मैं तो ओरीजनल बालीसॉन्ग ही खरीदूंगा।

शैलेश ने गूगल मैप पर अपनी स्थिति भेजी। न्यू अलीपुरद्वार से निकलने पर।

कैसा देहात है खिड़की के बाहर? कैसे लोग हैं? ट्रेन में असमिया बोल रहे हैं या बांगला? प्लेटफार्मों पर क्या मिल रहा है?

गुवाहाटी प्लेटफ़ार्म।
गुवाहाटी प्लेटफ़ार्म।

चावल के समतल खेत हैं और चाय के बागान भी। लोग असमिया बोलते हैं। वे अखेमिया कहते हैं। ककड़ी-खीरा, अन्नानास, झालमुड़ी, मिठाई, उबले अण्डे आदि मिल रहे हैं प्लेटफार्म पर। स्टेशन बेहतर साफ़ सुथरे हैं – तुलनात्मक रूप में।

गुवाहाटी गन्दा है। पटरियों के किनारे झुग्गी-झोपड़िया हैं। स्टेशन का प्लेटफ़ार्म साफ है।

मैं दीमापुर पंहुच गया हूं। रात के सवा दस बजे।

दीमापुर पंहुचने के बाद का विवरण भाग – 3 में। 

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

2 thoughts on “शैलेश पाण्डेय – वाराणसी से नागालैण्ड यात्रा विवरण – 2 #ALAKH2011

  1. 35-40 साल पहले भी पूर्वोत्तर की रेलों में तस्करी का माल खुले आम बिकता था। विदेशी कपड़े, अमेरिकी पेन, होंगकोंग के इलेक्ट्रोनिक्स, किस्म-किस्म के खूबसूरत छाते आदि। कुछ खास बदला नहीं अब तक।

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  2. अच्छा है यात्रा विवरण। रोज इन्तजार रहेगा अब तो।

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