पेण्ट माई सिटी प्रॉजेक्ट, प्रयागराज

प्रयागराज गया था मैं पिछले मंगलवार। ढाई दिन रहा। शिवकुटी का कोटेश्वर महादेव का इलाका बहुत सुन्दर चित्रों वाली दीवालों से उकेरा हुआ था। पहले यह बदरंग पोस्टरों से लदा होता था। बड़ा सुन्दर था यह काम।

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(अर्ध) कुम्भ मेला तीन महीने में होगा प्रयागराज में। कई शताब्दियों बाद शहर का नाम पुन: प्रयागराज हुआ है। शिवकुटी में जो भी लोग मिले, सबने कहा कि मैं मेले के समय प्रयाग में ही रहूं। ये चित्र देख कर जोश मुझे भी आ रहा था कि प्रयागराज में अगले कुम्भ मेले के दौरान रहना अच्छा अनुभव होगा।

रिटायरमेण्ट के बाद ट्रेनों के प्रबन्धन का तनाव भी नहीं रहेगा और मौसम भी अच्छा होगा। पण्डाजी ने बताया कि शिवकुटी से दारागंज/संगम को जोड़ने वाली एक सड़क भी बनेगी गंगा किनारे। शहर के भीड़ भड़क्के से बचते हुये संगम तक जाया जा सकेगा घर से निकल कर।

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असल आनन्द आया उकेरे गये चित्रों को देख कर। अभी कुछ ही दिनों पहले शुरू हुआ है यह उकेरने का काम। शहर में कई जगह चल रहा है। पूरे शहर को पेण्ट किया जा रहा है। प्रयागराज मेला प्राधिकरण 20 लाख वर्गफुट से अधिक क्षेत्रफल को इस तरह के सौन्दर्यीकरण के दायरे में ला रहा है। इस वेब साइट पर लिखा है –

तीर्थयात्रीगण एवं पर्यटकों के बड़ी संख्या में पहुंचने के पूर्व राज्य का सौंदर्यीकरण की उत्तर प्रदेश सरकार की विद्यमान प्रयासों का समर्थन करने के लिये प्रयागराज मेला प्राधिकरण सम्पूर्ण इलाहाबाद में सार्वजनिक दृश्य स्थानों पर सड़क की कला की परियोजनायें अपनायेगी।

यह अभियान कुंभ मेला- 2019 सम्पन्न हो जाने के पश्चात् इलाहाबाद शहर के पीछे एक विरासत छोड़ जायेगी और इलाहाबाद में विभिन्न स्थलों एवं स्थानों की सौंदर्य बोधात्मक मूल्य में अत्यधिक वृद्धि कर देगी।

कोटेश्वर महादेव मन्दिर की दीवार पर यह पोस्टर उकेरा दिखा – गणेश जी नन्दी जुते रथ को हांक रहे हैं। उनके माता-पिता उस आकाशगामी रथ पर सवार हैं। एक दूसरे पोस्टर में शिव गंगा और गौमाता की पवित्रता बनाये रखने के लिये आवाहन कर रहे हैं। नारायणी आश्रम के पास की दीवारों पर अनेक साधू-सन्यासी बहुत ही मनोहारी चित्रों में हैं।

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उसी सड़क पर तेलियरगंज जाते हुये चित्र उकेरने वाले आधा दर्जन कलाकारों की एक टीम कार्यरत दिखी मुझे। मैने वाहन से उतर कर उनका चित्र लेने का उपक्रम किया। लड़कियां और महिलायें जो चित्र पेण्ट कर रही थीं; अपने को फोटो में नहीं आने देना चाहती थीं। वे अलग हटने लगीं। पर फोटो लेने से मना नहीं किया उन्होने।

उनसे मैने पूछा कि कैसे परिकल्पना कर उकेर रहे हैं वे चित्र? एक कार्यरत सज्जन, पवन जी ने बताया कि मोबाइल में उनका मूल उपलब्ध है। उसे देख वे दीवार पर उकेरते और पेण्ट करते हैं। पूरे शहर में करीब 4-5 सौ आर्टिस्ट यह करने में लगे हैं। उनका प्रयास यह है कि चित्र इतने अच्छे बनें कि लोग उनकी प्रशंसा तो करें ही, उनपर गन्दगी करने की न सोच सकें।

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प्रयागराज (और पूर्वांचल के सभी अन्य कस्बे/शहर) लोगों की पान/खैनी खा कर थूंकने और कोई भी दीवार देख कर उसपर पेशाब करने की बीमारी से आतंकित हैं। यह “पेण्ट माई सिटी” अभियान अगर लोगों के इस कुटैव पर (रुपया में चार आना भी) लगाम लगा पाया तो इसकी सार्थकता सिद्ध हो जायेगी।

मैं इन कलाकारों की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकता। उनकी कला की गुणवत्ता बहुत उच्च स्तर की है। प्रयागराज का तो कायाकल्प कर दे रहे हैं ये लोग। शहर की आत्मा से परिचय करा रहे हैं आम और खास, सभी को!

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पवन जी से बड़ी गर्मजोशी से हाथ मिला कर आगे बढ़ा मैं।

धन्यवाद, प्रयागराज मेला प्राधिकरण।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

4 thoughts on “पेण्ट माई सिटी प्रॉजेक्ट, प्रयागराज

  1. सर , इस तरह का पेंटिंग इन्दौर स्टेशन पर भी हुआ है , इससे गंदगी नहीं पनपती है एवं स्टेशन का सौंदर्य बढ़ जाता है ।

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