गाँव देहात और गंगा तट का एकांत

सामाजिक दूरी में प्रकृति से दूरी बनाना शामिल नहीं है। शहरों में सड़कें वीरान हैं तो वन्य जीव उनपर विचरने चले आ रहे हैं – ऐसी खबरें आये दिन आ रही हैं। सामाजिक अलगाव जो रिक्तता उपजाता है, प्रकृति उसे भरने के लिये पंहुच जाती है।

यहाँ, गांवदेहात में, कोविड19 के कारण लोग सतर्क हैं, पर अपना कामधाम किये जा रहे हैं। अर्थव्यवस्था के रुक जाने का हाहाकार शहर में ज्यादा है। गांव में तो लोग सरसों की कटाई-दंवाई कर चुके। अरहर कट रही है। गेंहूं की फसल तैयार है और कहीं कहीं किसान ने कटाई शुरू भी कर दी है।

अरहर की खेप ले जाने को सड़क पर खड़ा ठेला (सगड़ी)।

भेड़-बकरी चराने वाले उसी तरह चरा रहे हैं, जैसे पहले चराते थे। गांव का किराने के सामान वाला वैसे ही दुकान खोलता है, जैसे पहले खोलता था। पाही पर चाय बनाने और समोसा तलने वाला भी अपनी गुमटी पर बैठता है। डण्डा फटकारने वाली पुलीस का यहां कोई हस्तक्षेप नहीं।

एक गेंहू के खेत में मुझे आवाज से लगा कि वहां फसल कटाई चल रही है। पर ध्यान से देखने पर पता चला कि एक नीलगाय का झुण्ड खेत में है और खड़ी फसल चर रहा है। मेरे पास कैमरा नहीं था और मोबाइल के कैमरे से मात्र अहसास सा ही दर्ज हुआ उस झुण्ड के कद्दावर पुरुष-नीलगाय का।

खेत में बायें जो धब्बा दिख रहा है, वह कद्दावर नीलगाय है। मुझसे उसकी दूरी 15 मीटर रही होगी।

बच्चों पर सोशल अलगाव का ज्यादा असर नहीं पड़ा है। वे खाली पड़े खेतों और सड़कों पर आइस पाइस, कबड्डी या क्रिकेट खेलते दिख जाते हैं। सुबह भी और शाम को भी।

बाकी, सुबह शाम सूरज की किरणें, गंगा नदी का बहाव, बबूल के झुरमुट और उनके झाड़ों पर उखमज (पतिंगे) वैसे ही हैं, जैसे थे। किसी आयरस-वायरस का कोई प्रभाव नहीं।

केवल कुछ वयस्क लोग दिखते हैं मुँह ढंके।

(पोस्ट के चित्र लेने की कवायद में किसी व्यक्ति के पास आने का न प्रयास किया गया और न कोई आसपास आया। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हुआ।)


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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