गांवदेहात में नजदीक आता कोरोनावायरस और बढ़ता तनाव

कल बाबूसराय के राजू जायसवाल के किराना स्टोर पर जा कर महीने का सामान उठाना था। रविशंकर जी ने कहा कि आप आने से पहले फोन कर पता कर लीजियेगा। अभी अभी पता चला है कि पास के गांव में कोरोना का एक पॉजिटिव मामला सामने आया है। बड़ी संख्या में पुलीस और सरकारी अमला आया है।

रविशंकर की आवाज में थोड़ी हड़बड़ाहट थी। भदोही जिले का यह ग्रामीण इलाका अब तक शांत था। महामारी के प्रकोप से बचा हुआ। मुम्बई से आये एक व्यक्ति को नारायणपुर-कलूटपुर गांव में पॉजिटिव पाये जाने से सब माहौल खलबला गया है। गांव सील कर दिया है। उसके अलावा लोग हदस गये हैं।

मेरा वाहन चालक बताता है कि अनेक गांव वाले खुद ही अपने गांव की बैरीकेडिंग करने लगे हैं। किसी बाहरी को आने नहीं देना चाहते।

पास के एक गांव में कुछ लोग बम्बई से आये हैं पर उनकी तहकीकात करने जब भी पुलीस आती है, वे छुप जाते हैं। उनके परिजन निश्चय ही मदद करते होंगे छुपने में। इस बात को ले कर तनाव रहा होगा, तभी उनकी जाति और अन्य के बीच मारपीट भी हो गयी है। पुलीस केस बना है मारपीट से।

तरह तरह की बातचीत होने लगी है।

“ये सब उस गांव के प्रधान का काम है कि नजर रखे गांव मेंं कौन बाहरी आया, गया। उसकी खबर परशासन को दे। पर प्रधनवा तो बहुतै निकम्मा है।”

“ये अमुक जात वाले बड़े बदमास हैं। जब से उनकी जात का सांसद बना है, तब से कपारे पर मूतने लगे हैं।”

“टमुक बस्ती वाले अपने से कैसे रास्ता बंद कर सकते हैं?! रास्ता तो सब के लिये है।”

“सब मेरे यहां से दवा ले कर जाते हैं। कलूटपुर गांव वाले भी आते हैं। अभी परसों ही उस गाव का एक आदमी दवाई ले कर गया है। अब, जब तक उस गांव के बाकी लोगों की टेस्ट रिपोर्ट नहीं आती, तब तक दुकान खोलें या न खोलें, समझ नहीं आता। बनारस में दवाई वाले तो फंस गये हैं संक्रमण के फैलाव में।”

कोरोना फैलाव से तनाव बढ़ रहा है तो वह जातिगत सम्बंधों में दिखने लगा है। जाति समीकरण भंगुर प्रतीत होते हैं। सुना, कि मनरेगा में भी एक जाति वाले दूसरी जातियों से सोशल डिस्टेंस बना कर काम कर रहे हैं। एक बस्ती में, आपस में वह सोशल डिस्टेंसिंग उतना कठोर नहीं है।

विषाणु से बचाव के लिये प्रारम्भ हुई सोशल डिस्टेंसिंग जातिगत अलगाव/मनमुटाव का कारण बन रही है। बाभन, केवट, पासी, दलित – अलग अलग खेमों में खड़े हो रहे हैं। और इस सब के मूल में है पांच किलोमीटर दूर एक कोरोना पॉजिटिव निकल आना!

परेशानी के माहौल में धर्मांतरण कराने वाले भी रोटी सेंकने लगे हैं। फलनवा क्रिस्तान हो गया है। औरों को भी बनाने का जिम्मा लेता है। पैसे भी बहुत मिलते हैं उसे। “बोल रहा था कि अष्टमी पूजा काहे करते हो। माता थोड़े बचायेंगी कोरोना से। (प्रभु ईशू की) प्रार्थना करो। .. ” चुनिंदा लोगों को उसने गेहूं, चावल, दाल, तेल बांटा है। उन लोगों को जो धर्मांतरण के टार्गेट जोन में हैं।

कठिन समय में राहत बांटने में भी धर्मांतरण की दुकान चल निकली है।

गांव के खुदरा दुकानदार भी पेशोपेश में हैं। दुकान खोलें कि न खोलें?! भदोही जिला ऑरेंज जोन में है। औराई तहसील का यह इलाका और गरमा गया है एक कोरोना पॉजिटिव केस मिलने से।

अब तक पुलीस की नजर गांवों पर नहीं थी। अब वह अपने काले रंग की जीप में घूमने लगी है। उधर आरोग्य सेतु एप्प बतला रहा है कि दस किलोमीटर की परिधि में 18 लोग ऐसे पाये गये हैं जो कोरोना संदिग्ध हैं। दस किलोमीटर परिधि में तो गांव और कस्बे ही हैं, जहां पहले कोई कोरोना वाला नहीं होता था। आरोग्य सेतु की यह जानकारी कोरोना प्रसार का अंदेशा तो देती ही है।

लोग आशा और निराशा के पैण्डुलम पर झूलने लगे हैं। यहां क्या चलेगा और क्या बंद रहेगा, उसपर ही खूब बात हो रही है। बस, सरकार के लिये संतोष की बात यह है कि सरकार को कोसने वाले नहीं दिखते। मोदी और योगी, दोनों की साख कायम है – और शायद बढ़ी ही है पिछले महीने भर में।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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