घासफूस बीनना, फिर घर के काम; जिंदगी कठिन है!

वे तीन औरतें थीं। दो खेत से घास बीन कर आ रही थीं और तीसरी गंगा किनारे की झाड़ियां तोड़ कर गठ्ठर बना रही थी। एक वृद्धा थी, दो युवतियां। मैं सड़क किनारे अपनी साइकिल खड़ी कर उनसे बतियाने लगा।

खेतों से खरीफ की फसल कटने के बाद जुताई हो गई है। उनमें अगली फसल की तैयारी के लिए पलेवा (पानी भरना) लगाया जाए, उससे पहले ये महिलायें उसमें से पिछ्ली फसल और खरपतवार की जड़ें (जिन्हे हल चलने के कारण बीनना आसान हो जाता है) इकठ्ठा कर रही थीं। पंजाब हरियाणा में पराली जला कर अगली फसल की तैयारी की जाती है। यहां पुआल (धान निकलने के बाद धान का सूखा पौधा) इकठ्ठा किया जाता है और उसकी अपनी अर्थव्यवस्था है। उसके बाद भी बचे खेत में से जड़ें और घास तक बीनने के लिये लोग तैयार हैं ये महिलाएं। यह गरीबी का स्तर है! कोई भी चीज बरबाद नहीं जाती। उसको इकठ्ठा करने के लिये लगे श्रम की अधिकता को कोई नहीं देखता। और कुछ उद्यम कर ईंधन के वैकल्पिक साधन जुटाने की सम्भावनायें ही नहीं हैं।

यहां धान का पुआल इकठ्ठा किया जाता है और उसकी अपनी अर्थव्यवस्था है। उसके बाद भी बचे खेत में से जड़ें और घास तक बीनने के लिये लोग तैयार हैं ये महिलाएं। यह गरीबी का स्तर है! कोई भी चीज बरबाद नहीं जाती।

महिलाओं में से एक बताती है कि दो घण्टे से वह यह इकठ्ठा कर रही है। घर जाने पर भी बहुत काम करना है। दो बच्चे हैं। इधर उधर घूम रहे होंगे। उनको स्वेटर पहनाना है। सर्दी बढ़ गयी है। उसके बाद इसी घास-फूस से खाना बनाना और कउड़ा तापने का इंतजाम होगा। इससे एक दिन का काम चलेगा। कल फिर इकठ्ठा करने के लिये निकलना होगा। उनके पास गाय-गोरू भी नहीं है जिनके गोबर से उपले बना कर ईंधन का इंतजाम हो सके। इस तरह घूम घूम कर जलावन इकठ्ठा करना उनकी हर रोज की जरूरत है।

“कल से स्कूल खुलेगा। एक दिन छोड़ कर एक दिन चलेगा शायद। बच्चे बहुत बदमाश हो गये हैं। उन्हें मार मार कर स्कूल भेजना होगा। स्कूल जाना थोड़े ही चाहेंगे।”

एक चूल्हा और सिलिण्डर तो मिला है। सब को मिला है। पर भराने को तो पैसा चाहिये। ये फोटो आप ले रहे हैं तो मोदी को भेज दीजियेगा। उसका इंतजाम कैसे होगा, उसका भी तो सोचें।

दलित बस्ती की महिलायें; अर्थव्यवस्था के अंतिम छोर पर रहती और घासफूस बीन कर खाना बनाने का ईंधन और सर्दी से बचने का इंतजाम करती महिलायें; उन्हे भी मोदी नाम का नेता पता है जो शायद उनके बारे में सोच सकता है। मुझे लगा कि मोदी की सबसे बड़ी राजनैतिक ताकत तो यह बन गयी है! इस महिला को भी मोदी से (हल्की ही सही) आशा है कि उनकी दशा बदलने के लिये वे कुछ कर सकते हैं।

दलित बस्ती की महिलायें; अर्थव्यवस्था के अंतिम छोर पर रहती और घासफूस बीन कर खाना बनाने का ईंधन और सर्दी से बचने का इंतजाम करती महिलायें; उन्हे भी मोदी नाम का नेता पता है जो शायद उनके बारे में सोच सकता है।

वह सरकार की बात नहीं करती। सरकार को उसने मोदी से रिप्लेस कर दिया है अपनी सोच में। निश्चय ही सारी आशा मोदी से है तो भविष्य में सारी निराशा भी वहीं जायेगी। मोदी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। पर शायद हज़ारों साल से वे अनंत आशा के साथ जिंदा हैं, इसी तरह जद्दोजहद कर एक एक दिन का इंतजाम करते लोग!

एक वृद्ध आते दिखे। वे महिलायें बोलीं – एनहूं क फोटो लई ल। दद्दाऊ चला आवत हयेन कऊडा क इंतजाम करई के (इनका भी फोटो ले लीजिये। दद्दा भी शाम के अलाव जलाने का इंतजाम करने चले आ रहे हैं)। वे वृद्ध हाथ में प्लास्टिक का बोरा जैसा कुछ लिये थे झाड़ियों की टहनियाँ समेटने के लिये। वे भी ढलती शाम और बढ़ती सर्दी के कारण घर परिवार की गर्माहट के लिये जुगाड़ बनाने निकले थे। ठिठक कर वे भी खड़े हो गये अपना फोटो खिंचाने के लिये।

“इनका भी फोटो ले लीजिये। दद्दा भी शाम के अलाव जलाने का इंतजाम करने चले आ रहे हैं”

शाम के साढ़े चार बज रहे थे। बस एक घण्टे से भी कम समय बचा है अंधेरा होने को। इस बीच कुछ लकड़ियां ले कर उन्हें अपने गांव कोलाहलपुर लौटना है।

साइकिल भ्रमण वापसी में आसपास के खेतों पर नजर जाती है तो अनेक महिलायेंं इसी तरह जोते गये खेतों से घास-फूस इकठ्ठा करने में व्यस्त दिखती हैं। उनके आसपास छोटे छोटे ढेर दिखते हैं घास और फसल की जड़ों के। बस आधे घण्टे में यह सब समेट वे घर लौटेंगी और घर में चूल्हा-चौका करने में व्यस्त हो जायेंगी।

खेतों में जलावन के लिये घास और जड़ें बीनती महिलायें।

जिंदगी कठिन है। :sad:


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धन्यवाद।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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