उनके जैसे बहुत से लोग जैसा चल रहा है चलने देना चाहते हैं। भले ही लस्टम पस्टम चले, पर लॉकडाउन न होने से नून-रोटी तो चल रही है। उनके जैसे बहुत से लोगों को कोरोना टीके को ले कर भ्रांतियां और पूर्वाग्रह हैं।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
उनके जैसे बहुत से लोग जैसा चल रहा है चलने देना चाहते हैं। भले ही लस्टम पस्टम चले, पर लॉकडाउन न होने से नून-रोटी तो चल रही है। उनके जैसे बहुत से लोगों को कोरोना टीके को ले कर भ्रांतियां और पूर्वाग्रह हैं।