औरतों की जरूरतें पूरी करने के लिये मनिहारिन अभी भी प्रासंगिक है। गांव की औरतें आज भी बाजार नहीं के बराबर निकलती हैं।
Daily Archives: 05-04-2021
स्मार्टफोन जाओ, साइकिल आओ
उसने मुझे दिखाया था कि साठ रुपये की पुड़िया में दो तीन दिन तक वे तीन चार लोग चिलमानंद मग्न रह सकते थे। वह ‘सात्विक’ आनंद जिसे धर्म की भी स्वीकृति प्राप्त थी। यह सब मैं, अपनी नौकरी के दौरान नहीं देख सकता था।