ट्विटर स्पेसेज पर आजतक रेडियो वालों का बेबाक बुधवार

कल बुधवार को आजतक वालों ने ट्विटर स्पेसेज का प्रयोग कर एक कार्यक्रम किया – बेबाक बुधवार। उसमें चर्चा थी – आयुर्वेद और एलोपैथ : दोस्त या दुश्मन। आजतक के ‘तीन ताल‘ पॉडकास्ट के तीन लोग इसमें बेबाक चर्चा करते हैं और चूंकि ट्विटर पर ढेरों श्रोता जुड़ने की सहूलियत है, प्रोग्राम भागवत कथा टाइप हो जाता है। कल पहली बार तीनताल के सूत्रधार कुलदीप मिश्र ‘सरदार’ ने मुझे भी निमंत्रण दिया। वहां चिकित्सा पद्यतियों पर इन बंधुओं और अनेक विद्वान एलोपैथ-आयुर्वेद वालों को सुनने का मौका मिला। कुलदीप मिश्र जी ने मुझे भी बोलने का आमंत्रण दिया। मैंने अंतत: कुछ बोला भी।

कुलदीप मिश्र जी द्वारा भेजा बेबाक बुधवार का निमंत्रण

कल डेढ़ सौ से ज्यादा श्रोता थे। वक्ताओं में रिसर्चक लोग, डाक्टर, आयुर्वेदाचार्य, स्वास्थ्य पत्रकार आदि बड़े सुधीजन थे। सबके पास कहने को बहुत कुछ था। और ये तीनतालिये (कमलेश कुमार सिंह ‘ताऊ’, पाणिनी आनंद ‘बाबा’ और कुलदीप मिश्र ‘सरदार’) खुद भी जम के बोलते हैं और औरों को भी अपनी बलबलाहट निकालने का पूरा अवसर देते हैं! लोगों ने अपने विचार एलोपैथी और आयुर्वेद पर पूरे दम-खम से रखे। खूब लम्बी चली चर्चा। रात नौ बजे शुरू हुई और जब कथा की समाप्ति हुई तो तारीख बदल गयी थी।

ट्विटर स्पेस पर चल रही बेबाक बुधवार की चर्चा का स्क्रीन-शॉट

आयुर्वेद और एलोपैथ पर चर्चा का विषय था; पर चर्चा आयुर्वेद खिलाफ एलोपैथ पर बार बार खिसकती रही और कुलदीप/कमलेश/पाणिनी को बार बार उसे विषय पर वापस लाने की गुहार लगानी पड़ी। दोनो पक्षों के लिये विलेन बने थे बाबा रामदेव। एलोपैथिये बबवा को लेकर आयुर्वेद की लत्तेरेकी-धत्तेरेकी करने का अवसर नहीं छोड़ना चाहते थे और आयुर्वेद वाले बाबा जी से आयुर्वेद को अलग कर देखने की बात कहते रहे। पर इस सब के बीच आयुर्वेद-ऐलोपैथ की प्रणली-पद्ध्यति को ले कर बड़े काम की बातें भी सामने आयी।

ऐलोपैथ की ‘तथाकथित’ साइन्टिफिक अप्रोच और आयुर्वेद के व्यापक क्लीनिकल प्रयोग के अभाव, एविडेंस बेस न होने और दवाओं के निर्माण में उपयुक्त मानकीकरण न होने पर विचार आये। इतने विचार आये और दवाओं की गुणवत्ता को ले कर इतने संशय जन्मे कि मेरे जैसा गांवदेहात में कोने में बैठा व्यक्ति और विभ्रम (कंफ्यूजन) ग्रस्त हो गया। ज्यादा ज्ञान की डोज भी कंफ्यूजन पैदा करती है! 😆

बेबाक बुधवार सुनने के चक्कर में; सामान्यत: रात नौ बजे आधा घण्टा रामचरित मानस पढ़ कर दस बजे तक सो जाने वाला मैं रात डेढ़ बजे तक जागता रहा। इस ट्विटर स्पेस की चर्चा में इतना रस मिला कि एक रात की नींद की ऐसी-तैसी करा ली मैंने। पर बहुत आनंद आया कार्यक्रम में। मैं आपको भी सलाह दूंगा कि अपने बाकी रुटीन दांये बांये कर ट्विटर स्पेस पर यह कार्यक्रम हर बुधवार को अवश्य सुना करें। मैं कुलदीप मिश्र जी को भी अनुरोध करूंगा कि वे इस कार्यक्रम की रिकार्डिंग एक पॉडकास्ट के रूप में आजतक रेडियो पर उपलब्ध करा दिया करें। इससे हमारे जैसे सीनियर सिटिजन एक रात की नींद बरबाद करने से बच सकेंगे।

वैसे कार्यक्रम इतना अच्छा होता है कि एक रात की नींद बर्बाद की जा सकती है। 🙂

आप आजतक रेडियो को ट्विटर पर फॉलो करें और बुधवार रात नौ बजे पालथी मार कर तीन घण्टा ट्विटर पर अपनी टाइमलाइन खोल कर आजतक रेडियो के चिन्ह को क्लिक कर सुनना प्रारम्भ करें। मजा भागवत पुराण सुनने जैसा आयेगा। पक्का। यह कार्यक्रम हर बुधवार रात 9 बजे रखा गया है। दो बुधवार हो गये हैं इस कथा के शुरू हुये। बकिया, कमलेश कुमार सिंह जी के कथा आयोजक लोग कथा के बाद चन्नामिर्त-पंजीरी आदि नहीं बांटते, यही गड़बड़ है! 😆


आजतक रेडियो के तीन ताल पॉडकास्ट पर एक पोस्ट अलग से लिखूंगा। वह कुछ दिनों बाद।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

10 thoughts on “ट्विटर स्पेसेज पर आजतक रेडियो वालों का बेबाक बुधवार

  1. पढ़कर लगा कि आपको पूरा आनन्द आया है। अगली बार से जुड़ने का प्रयास करते हैं।

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  2. यह सत्य है की एलोपैथी के अंदर कोरोना का कोई इलाज नहीं है / चूकि मै चिकित्सा विज्ञान से पिच्छले 56 साल से जुड़ा हू और “”इंटीग्रेटेड चिकित्सा ” का सहारा लेकर यानी एलोपैथी , आयुर्वेद , होम्योपैथी, यूनानी , प्राक्रतिक चिकित्सा का “कम्बाइन्ड ” सहारा लेकर कठिन से कठिन लाइलाज बीमारियों का सफलता पूर्वक इलाज करता चला आ रहा हू और प्राय: ऐसी कठिन तकलीफ़े जो कही से भी ठीक नहीं हुयी है ,”इंटीग्रेटेड” इलाज” से शत प्रतिशत ठीक हुयी है/ लगभग 300 से अधिक कोरोना के मरीजों का इलाज करने के पश्चात मेरी यह धारणा बनी की ”इंटीग्रेटेड इलाज” कोरोना का एकमात्र और सुरक्षित इलाज का तरीका है / जितने भी मरीज थे सबको एलोपैथी की दवा आयुर्वेद की कौन सी दवाये लेना है होम्योपैथी की क्या दवाये लेना है कब लेना है और कितने दिन तक लेना है यूनानी की दवाये लेना है और कव लेना है ,ब्लैक फंगस मे क्या दवा लेना है आदि आदि बाते विस्तार से होम आइसोलेशन के साथ बताया जा रहा है / अभी तक न तो किसी मरीज को न तो आकसीजन की जरुरत पड़ी और न अस्पताल जाने की / सभी सुरक्षित है/ “”इन्टीग्रेटड इलाज”” से एक बड़ी और विशाल रेंज दवाओ की मिल जाती है जो मरीज की हर तकलीफ की अवस्था को कवर करने मे काम आती है/ कोरोना दिन पर दिन इसलिए मजबूत होता जा रहा है क्योंकि इन्फेक्शन के सभी स्प्रेडर यानी बैकटीरिया , वाइरस, पैरासाइट्स, फंगस ये चारों ने मिलकर जिस मयूटेंट को बनाया है ऊसमे बैकटीरिया टायफाइड का और वायरस न्यूमोनिया का और पैरासाइट मलेरिया का और फंगस जो खून पर आश्रित होकर फैलती है , ये चारों इन्फेक्शन फैलाने वाले तत्व आपस मे मिलकर इसे अधिक से अधिक खतरनाक बना रहे है/ इस तरह के खतरनाक और जान लेवा रोग से केवल और केवल ”ईन्टीग्रेटेड ईलाज” ही काबू कर सकता है और यह करता भी है /

    सभी आयुर्वेद के चिकित्सकों को यह सोचने और विचारने का समय आ गया है और इसका फायदा उठाना चाहिए की बाबा राम देव सरीखे पुरुष अपने पौरुष के बल पर हुंकार भरते हुए एलोपैथी के डाक्टरों को आयुर्वेद का ज्ञान समझाने की चुनौती दे रहे है और आयुर्वेद के चिकित्सक मौन साधे हुए चुपचाप बैठे है / इस तरह की उदासीनता से सिवाय निकसान के कुच्छ भी हासिल नहीं होगा/ आयुर्वेद को प्रतिनिधित्व करने वाले नेतागण क्यों नहीं सामने आकर विरोडज करते है /

    आयुर्वेद की सर्वोच्च स्तर की शोध और आयुर्वेद के चकित्सकों द्वारा कीये गए उच्चकोटी की शोध की उपलब्धियों के लिए वेब ब्लाग http://www.ayurvedaintro.wordpress.com मे वीडियो शेयर किए गये है , सभी चकित्सकों को यह वीडियो अवश्य देखने चाहिए

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