आज तपती सड़क पर पैर जला। मैंने उनसे पूछा – सैण्डल लेने की नहीं सोची? बताये – “सोचा; पर भईया मन माना नहीं। आज लोगों ने बताया कि डिण्डौरी के रास्ते कहीं चट्टी (कपड़े का स्ट्रैप लगी खड़ाऊं) मिलती है। वह मिली तो खरीदूंगा।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आज तपती सड़क पर पैर जला। मैंने उनसे पूछा – सैण्डल लेने की नहीं सोची? बताये – “सोचा; पर भईया मन माना नहीं। आज लोगों ने बताया कि डिण्डौरी के रास्ते कहीं चट्टी (कपड़े का स्ट्रैप लगी खड़ाऊं) मिलती है। वह मिली तो खरीदूंगा।