प्रेमसागर – सिहोर होते हुये आष्टा


रास्ते में उन्हें कई जैन मंदिर मिले। इलाका में जैन प्रभाव वाला है। एक स्थान पर उन्होने बहुत आग्रह किया भोजन करने का। मना करने पर उन्होने प्रेमसागार की जेब में कुछ रकम रख दी – कि जब वे भोजन करना चाहें, उससे कर सकें।

भोपाल के आगे निकले प्रेमसागर


लगभग 10 हजार किलोमीटर यह ज्योतिर्लिंग यात्रा है। उसका 12-15% अभी तक सम्पन्न हो चुका है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। इससे यह विश्वास पुख्ता हुआ है कि प्रेमसागर यात्रा सम्पन्न करने में सक्षम हैं।

भोपाल, बारिश, वन और बातचीत


अपने सेण्डिल के बारे में प्रेमसागर का कहना है – “भईया, सेण्डिल भी सोचता होगा कि दुकानदार ने किस आदमी को मुझे थमा दिया। चैन लेने ही नहीं देता। महीने भर में में ही घिस गया है। जल्दी ही बदलना पड़ेगा।” वह तो गनीमत है कि प्रेमसागर का सेण्डल सस्ता वाला है – तीन-चार सौ का। किसी रीबॉक या आदिदास का खरीदे होते तो बारम्बार खरीदने में उन्हें लोगों से पैसे की अपील करनी पड़ती।

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