11-11-2021, पूर्वान्ह –
कल अलीराजपुर में प्रेमसागर को रुक कर अपनी मध्यप्रदेश यात्रा का अपना अनुभव स्थान के अनुसार सूचीबद्ध करना था। पर उनको भाग्वत कथा का निमंत्रण देने योगेश जोशी जी आ गये। योगेश जी कथा कह रहे हैं। साथ में उनके भाई, ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष कमलेश जोशी जी भी थे।

“भईया, भाग्वत कथा का निमंत्रण था। कथा निमंत्रण तो मानना ही था।” प्रेमसागर की प्रयॉरिटीज स्पष्ट हैं। पहली प्राथमिकता यात्रा है। उसके बाद मंदिर घूमना और कथा सुनना वरीयता रखता है। लिस्ट-विस्ट बनाना तो उसके बाद आता है। यह तो हम जैसे हैं जिनके लिये लिखना, लिस्ट या डॉक्यूमेण्ट बनाना अधिक महत्वपूर्ण होता है। और तभी प्रेमसागर जैसे इतनी बड़ी यात्रा कर लेते हैं और हम की-बोर्ड के सामने बैठे रह जाते हैं।

दोपहर में भाग्वत कथा थी। चार घण्टा प्रेमसागर ने कथा सुनी। उनका वहां सम्मान भी हुआ। व्यासगद्दी पर बैठे योगेश जी के साथ उनका चित्र भी है। योगेश जी की दो सुपुत्रियों के साथ भी उनका चित्र है। प्रेमसागर ने बताया कि बेटियां भी कथा कहती हैं। … शंकर भक्त के लिये कृष्णमय वातावरण था। शैव-वैष्णव का परफेक्ट मेल। महादेव को प्रसन्नता हुई होगी प्रेमसागर के कथा कार्यक्रम में जाने से।

आज प्रेमसागर को अलीराजपुर से आगे निकलना था। पर एसडीओ साहब उन्हें साठ किलोमीटर दूर, नर्मदा तट पर वह स्थान दिखाने ले गये हैं, जहां उत्तर तट पर मध्यप्रदेश और गुजरात की सीमा मिलती है। नर्मदा के उसपार महाराष्ट्र है। अर्थात वह स्थान है जहां नर्मदा माई तीन राज्यों की सीमायें छूती हैं। वास्तव में वह स्थान देखने जाने योग्य है। प्रेमसागर ने कहा था कि वे अगर सवेरे नौ बजे तक वहां से वापस आ सके तो अपनी कांवर यात्रा पर निकल लेंगे। पर सवेरे सवा दस बजे मैंने उनसे बात की तो वे उस स्थान को देखने जा रहे थे। अर्थात आज भी कांवर यात्रा पर निकल नहीं सकेंगे प्रेमसागर।

एक दिन अलीराजपुर में और सही!
हर हर महादेव।
प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी (गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) – |
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर |
2654 किलोमीटर और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है। |
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे। |
शिव स्वयं परमवैष्णव हैं। हम सबकी भेदक बुद्धि देवताओं और महापुरुषों को भी अपनी क्षुद्रता के खाँचों में सजा कर रखती है। यात्रा अपने प्राकृतिक विस्तार पा रही है।
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तुलसी बाबा पूरी मानस में यही बताते हैं…
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सम्भवतः शूलपाणेश्वर हैं। यहाँ की झाड़ीयों में परिक्रमावासी लुटे जाते हैं। ऐसा वर्णन पढ़ा था।
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नक्शे में शूल प्राणेश्वर यहां नहीं बताया गया. यह नर्मदा परिक्रमा से अलग है…
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