तीन राज्यों की सीमा छूने के बाद अब गुजरात में प्रेमसागर

12-11-2021 सवेरे –

कल प्रेमसागर नर्मदा के उस स्थान पर स्नान कर आये जहां मध्यप्रदेश, महाराष्ट और गुजरात की सीमायें मिलती हैं। ट्रिपल स्टेट बॉर्डर। नर्मदा किनारे पहाड़ियां थीं। जल राशि खूब और स्वच्छ। लगभग निर्जन क्षेत्र। पहाड़ियों पर कहीं कहीं वृक्ष। उन्हें रास्ते में और कई जगह प्रचुर वन राशि देखने को मिली। साथ में वन विभाग के डिप्टी साहेब – रावत जी थे। नाम याद रखने में प्रेमसागर जी की दक्षता नहीं आ पाई है। दिन भर रावत जी साथ थे, पर उनके नाम के बारे में वे पूरी तरह निश्चित नहीं हैं। आर से नाम था। इसलिये आर. रावत कहा जा सकता है।

रावत जी के घर पर भी गये थे प्रेमसागर। सम्भवत: डिनर पर।

रावत जी के घर पर भी गये थे प्रेमसागर। सम्भवत: डिनर पर। … प्रेमसागर को यात्रा के दौरान लोगों, स्थानों और इमारतों-स्थलों के नाम पर ध्यान देने का अनुशासन पुख्ता करना चाहिये। भगवान महादेव तो उनके सहाय्य हैं ही; पर उनकी कृपा लोगों के माध्यम से ही मिलती है।

तीन राज्यों की सीमा पर स्नान करते प्रेमसागर

यह तीन-राज्य-सीमा-नर्मदा वाला स्थान अलीराजपुर से करीब साठ किलोमीटर दूर है। इस रास्ते में अनेक मंदिरों के भी दर्शन कराये प्रेमसागर को रावत जी ने। एक शिव मंदिर ऐसा है जिसपर अज्ञात स्त्रोत से हमेशा जल गिरता है। कोई बारहमासी झरना है। उसे गोमुख का आकार दिया गया है।

एक शिव मंदिर ऐसा है जिसपर अज्ञात स्त्रोत से हमेशा जल गिरता है। कोई बारहमासी झरना है। उसे गोमुख का आकार दिया गया है।

इसके अलावा हनुमान मंदिर, चामुण्डा शक्तिपीठ और एक दो अन्य मंदिर भी उन्होने देखे। एक स्थान पर कोरोना का टीका लगाने वाली सरकारी महिलाओं की टीम भी दिखी। दूर दराज के इलाकों में भी कोरोना और पल्सपोलियो टीकाकरण पंहुच रहा है और लोग लगवा रहे हैं। मैंने प्रेमसागर को कहा कि आप टीका लगवाये या नहीं? “फिर भईया, वहां तो नहीं लगवाये। यह सोच कर कि अगर तबियत कुछ नासाज हुई तो रुकना पड़ जायेगा। वैसे आगे गुजरात में मौका देख कर लगवा लूंगा।”

अलीराजपुर के दूर दराज इलाके में कोरोना टीका लगाने वाली टीम।

कल उन्हें ढूंढ़ते हुये अलीराजपुर में गोण्डा, उत्तर प्रदेश की कोई सलोनी पाण्डेय, उनकी मां, भाई और भाभी मिलने आये। बारह किलोमीटर दूर से। मध्य प्रदेश के इस पश्चिमी कोने पर ‘अपने इलाके’ का कोई आ कर मिले; वह भी प्रयास कर और वह भी पांड़े! प्रेमसागर को बहुत अच्छा लगा। उनका फोटो भेज कर प्रेमसागर ने अनुरोध भी किया – भईया, लिखने में उनका भी जिक्र कर दीजियेगा।”

उन्हें ढूंढ़ते हुये अलीराजपुर में गोण्डा, उत्तर प्रदेश की कोई सलोनी पाण्डेय, उनकी मां, भाई और भाभी मिलने आये। बारह किलोमीटर दूर से।

आज सवेरे मैंने छ बजे उनसे बात की। उसके पहले वे कल की सैलानी-यात्रा वाले तीन दर्जन चित्र मेरे पास ठेल चुके थे। अपनी कांवर तैयार कर रहे थे निकलने के लिये। अगला पड़ाव गुजरात में छोटा उदयपुर है। कई नाम गिनाये उन्होने जो आगे की यात्रा का इंतजाम कर रहे हैं। पर कौन क्या कर रहा है, कौन सांसद है, कौन विधायक और कौन शुभेच्छु; वह समझने में वे और मैं दोनो कंफ्यूज होते गये। अंतत: हम इस बात पर सहमत हुये कि आगे महादेव जी प्रबंध कर रहे हैं।

प्रवीण चंद्र दुबे जी ने प्रेमसागर की (और मेरी भी) आदत खूब बिगाड़ दी है। यात्रा की निश्चितता – कहां से गुजरना होगा, कौन देखेगा कि कैसे चल रहे हैंं प्रेमसागर, कहां रुकना होगा, भोजन का क्या इंतजाम होगा, अगले दिन अगर विराम लेना है तो क्या क्या देख सकते हैं, कौन मिलेगा, किस तरह की टोपोग्राफी है … यह सब बारीकी से देख और प्रबंधन कर रहे थे प्रवीण जी। अब महादेव देखेंगे। पर उनके देखने के तरीके बहुत अनूठे हैं। आगे उनका डमरू खूब बजेगा। फ्लिफ-फ्लॉप; ढब-ढब-ढब-ढब। डमरू बजेगा, कभी नगाड़ा भी, कभी त्रिशूल से कोंचेंगे भी और कभी नटराज-तांडव नर्तन भी होगा। कभी अन्नपूर्णा मां, गौरा मां; उन्हें पकवान भी खिलायेंगी!

कैसे क्या होगा वह महादेव जानें। अब कदम कदम पर एलीमेण्ट-ऑफ-सर्प्राइज के लिये तैयार रहना होगा! आदत खराब की है, प्रवीण जी ने, अब सुधारेंगे महादेव! :lol:

प्रेमसागर और रावत जी

और, प्रेमसागर निकल लिये। कुछ दूर, जहां घना जंगल है और एसडीओ/डिप्टी साहब के सोच अनुसार रास्ता निरापद नहीं था, वहां उन्हें पार करा दिया वन विभाग के कर्मियों नें। रावत जी शायद छोड़ने साथ गये थे। आगे अकेले चले प्रेमसागर। सवेरे सवा सात बजे के भेजे चित्र के अनुसार वे अलीराजपुर-छोटा उदयपुर की सीमा पर चेक-पोस्ट से गुजर कर गुजरात में प्रवेश कर गये थे।

गुजरात की चेक-पोस्ट

साढ़े नौ बजे के चित्र के अनुसार वे रंगपुर में थे; किसी श्रद्धा होटल पर चाय पीने के लिये रुके थे। रंगपुर से छोटा उदयपुर 23 किलोमीटर आगे है। आज की यात्रा का आधा हिस्सा कवर कर चुके थे प्रेमसागर सवेरे साढ़े नौ बजे तक।

साढ़े नौ बजे के चित्र के अनुसार वे रंगपुर में थे; किसी श्रद्धा होटल पर चाय पीने के लिये रुके थे।

आगे की यात्रा के बारे में अगली पोस्ट में।

हर हर महादेव!

प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी
(गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) –
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर
2654 किलोमीटर
और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है।
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे।
प्रेमसागर यात्रा किलोमीटर काउण्टर

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

7 thoughts on “तीन राज्यों की सीमा छूने के बाद अब गुजरात में प्रेमसागर

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    1. कभी कभी बहुत खीझ होती है प्रेम सागर पर. पर सब चल रहा है. इस में एक अलग आनंद है. 😊

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