बिटिया कल चली गयी अपने घर; बोकारो। दो सप्ताह रही हमारे पास। अपने बेटे और पति से अलग पहले पहल रही होगी इतने दिनों तक। पूरे पखवाड़े अपनी मां से लड़ती रही लाड में।
वैसे नत्तू पाण्डे (अब वह बड़ा हो गया है और विवस्वान पाण्डेय हो गया है।) और विवेक के बिना रहना भी नहीं कहा जायेगा। उसके घर में दो सीसीटीवी कैमरे फिट हैं। उससे लाइव रिपोर्ट देती रही अपने मोबाइल में देख कर। “गजेंदर और रानी काम कम कर रहे हैं, बातें ज्यादा। आज विवेक लगता है किसी काम से जल्दी निकलने वाले हैं। सवेरे नहा कर पूजा के कमरे में जा चुके हैं।… ये खाने में क्या बना रही है? … तूफान आने से मेरे गमले टूट गये हैं।” – यह सब वह सीसीटीवी देख कर बताती रही। बोकारो न रहते हुये भी अपने घर गृहस्थी के कमाण्ड में थी। तकनीक के उपयोग का नया आयाम मैंने देखा।
उसके जाने पर मुझे अच्छा तो नहीं लगा, पर दो सप्ताह रही, इसके कारण मलाल नहीं था। आशा करता हूं कि इसी तरह का चक्कर वह तीन चार महीने में लगाया करेगी। मैंने उसका और उसकी माँ का एक चित्र ब्लॉग हेडर बना लिया है – मानसिक हलचल अभी उनके इर्दगिर्द ही है! 🙂

दोपहर में दो बजे के पहले वह यहां से गयी थी और रात सवा आठ बजे अपने घर में थी। मध्यरात्रि के पहले उसने फोन कर उठा दिया – नया साल शुभ कहने के लिये। बुढापे में नींद वैसे ही उथली आती है, ऊपर से मध्यरात्रि को टूट जाये। फिर यह हुआ कि नये साल में ही हम सोये और नये साल में ही जागे।
सवेरे मेरे बेटे ज्ञानेंद्र ने चरण स्पर्श कर नया साल मुबारक कहा। पत्नी जी से भी ग्रीटिंग एक्स्चेंज हुये। फिर बबिता, बहू ने भी पैर छुये।
घर के बाहर निकल कर देखा – गलन की सर्दी के बचाव के लिये बच्चे पत्तियाँ बीन कर अलाव जला रहे थे। सब ने गर्म कपड़े जरूर पहने थे। अच्छे लग रहे थे वे। उन्हें भी नया साल शुभ हो!

सवेरे का पहला फोन प्रेमसागर का था। वे सूरत से त्र्यम्बकेश्वर की यात्रा पर निकल लिये हैं। नया जूता ले लिया है। स्वामीनारायण मंदिर में दिलीप थानकी जी ने रहने का इंतजाम किया था सूरत में। आगे भी व्यवस्था वही देख रहे हैं। किन्ही तिवारी जी का भी नाम लिया प्रेमसागर ने, जो पुणे में रहते हुये उनका मार्ग गाइड कर रहे हैं। कुल मिला कर एक टीम महादेव ने प्रेमसागर को प्रोवाइड कर दी है। उन्होने अपना लोकेशन मुझसे शेयर किया। ताप्ती नदी के किनारे कोई स्थान था, सूरत में ही। उनके यात्राब्लॉग की तो मैं इति कर चुका हूं। आगे के उनके विवरण – अगर मिलते हैं – तो किस स्वरूप में लिखे जायेंगे, यह अभी तय नहीं किया है।
श्री मोहन का प्रयाग से फोन आया। नये साल की शुभकामनायें एक्स्चेंज करने के लिये। वे मेरे छ साल तक सहकर्मी रहे सुबेदारगंज, प्रयाग में उत्तरमध्य रेलवे के कार्यालय में। बहुत अच्छा लगा उनका फोन आना। आशा है दिन भर इसी प्रकार फोनसम्पर्क होते रहेंगे।

नये साल में बिजली थोड़ा देर तक आयी। कृपा है। गीजर में पानी गर्म हो गया है। पत्नीजी ने नये साल में सबके नहाने की फिक्र करते हुये गीजर से दो बाल्टी गरम पानी निकाल कर बाथरूम के सभी पीढ़े इस्तेमाल करते हुये सहेज लिया है। मजेदार था वह जुगाड़। चूंकि बिजली आ रही है, गीजर में और पानी गर्म होगा, बाकी लोगों के लिये। मैंने जुगाड़ का चित्र लिया – स्नानघर की सभी लाइटों को जला कर। गलन वाली सर्दी में घर में सबको नहला देने का पुनीत संकल्प उनका नव वर्ष का पहला प्रतीक है कि रीता पाण्डेय घर की बिनोवेलेण्ट तानाशाह हैं! 😆
सन 2022 में रीता पाण्डेय की बिनोवेलेण्ट तानाशाही जिंदाबाद! जय हो!
नव वर्ष की शुभकामनायें। बिटिया घर आती हैं तो घर खिल जाता है पर नत्तू पाण्डेय जी को भी सीसीटीवी की अपेक्षा साक्षात मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
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वह तो है ही! वह आई और इतने दिन रही, वही संतोष है!
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अकबर दबे नहीं किसी, सुल्ताँ की फ़ौज से //
लेकिन शहीद हो गए, बीवी की नौज //
मर्तबा दुनिया मे हो, इससे सिवा हो आपका //
याद रखिएगा की मै भी हू, दुआ-गो आपका //
नए वर्ष की हुभकामनाओ के साथ ______________
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आपको भी मंगल कामनाएं बाजपेयी जी! 🙏🏻
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