सूर्यमणि तिवारी जी और मानस पाठ

तीन साल से निमंत्रण मिल रहा है सूर्यमणि जी के यहां के हनुमान मंदिर में मानस पाठ का। तीन साल से नहीं जा पा रहा। इस बार भी कल पाठ सम्पन्न होना था और नहीं जा पाया। हर बार यह होता है कि मेरी गाड़ी का चालक नहीं मिलता – अलग अलग कारणों से। अजब संयोग हो रहा है तीन साल से। प्रॉबिबिलिटी थ्योरी के हिसाब से ब्लैक स्वान टाइप चीज हो रही है।

सूर्यमणि तिवारी

ऐसा नहीं कि मानस पाठ को ले कर मेरे मन में कोई अश्रद्धा है। हम पति पत्नी नित्य आधा घण्टा मानस पाठ करते हैं और साल में मानस के दस बार पाठ पूरा कर ही लेते हैं। तुलसी हमारी आस्था के अभिन्न अंग हैं। यूं जैसे वे परिवार के सदस्य हों और उनसे पाठ के दौरान हंसी मजाक भी किया जा सके। स्त्रियों को ले कर वे जब भी लिखते हैं, मेरी पत्नीजी भिन्नाती हैं और तुलसी को कोसने की बजाय हम उनपर “हास्य-व्यंग” ही करते हैं – आखिर बाबा को उनकी पत्नी ने खरी खोटी भी तो खूब सुनाई थी! :-)

सूर्यमणि जी बीमार चल रहे हैं – उनकी खबर नहीं थी मुझे। वह तो एक दिन उन्हीं का फोन आया तो पता चला। किसी नामी गिरामी अस्पताल में ऑपरेशन कराये थे, पर बिगड़ गया। मर्ज से ज्यादा उसका पोस्ट ऑपरेटिव कष्ट ज्यादा दुखदाई रहा। अपनी पत्नीजी के साथ उनसे मिलने गया था तो देखा कि वे काफी दुबरा गये हैं। परिवार में किसी शादी के कार्यक्रमों में बैठे जरूर थे, पर अपने एलीमेण्ट्स में नहीं लग रहे थे। उसके बाद सूर्या ट्रॉमॉ सेण्टर और अस्पताल में भी उनसे मुलाकात हुई। अस्पताल उनका है तो वहीं रहने में उन्हें केयर भी मिल जा रही है और घर का वातावरण भी। पर कष्ट और मानसिक थकान, नैराश्य तो था ही। पता नहीं उन्हें कैसा महसूस होता हो; मुझे तो वे निरुत्साह में दिखे – वह भाव जो उनका सामान्य भाव नहीं होता।

11 दिसम्बर को सूर्यमणि जी (बांये) से मिला था। काफी दुबले हो गये हैं!

रवींद्रनाथ दुबे कहते हैं कि सूर्यमणि जी में उन्हें इस इलाके के टाटा की ईमेज दिखती है। मेरे ख्याल से इलाके के लिये उससे कहीं सशक्त ईमेज है। वे सेल्फ मेड व्यक्ति हैं। इस अंचल के लिये एक फिनॉमिना। उनकी बायोग्राफी अगर लिखी गयी तो बहुत से लोगों को प्रेरणा देगी। इस प्रकार के लेखन की कमी भारत में बहुत है। अच्छी बायोग्राफियों का अकाल है और हिंदी में तो और भी है।… पूर्वांचल में सामंती और रंगदारी के बल पर तो कई लोग सम्पन्न हो गये हैं, पर अपनी मेहनत से गांवदेहात के शून्य से शिखर को आगे बढ़े वे अकेले उदाहरण दिखते हैं।

शिकागो से राजकुमार उपाध्याय ने भी सूर्यमणि जी और उनके यहां होने वाले मानस पाठ का जिक्र कल किया –

सूर्यमणी चाचा के लिए भी ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो शीघ्र ठीक हों और लोगों कि आशाओं को नई उड़ान दें।
सच तो यह है कि न जाने कितनो की रोजी रोटी उनसे जुड़ी हुई है और उन सबके घर में शाम का चूल्हा उनके अथक परिश्रम से जलता है। उनका बीमार होना उन सबके मानसिक पटल पर भी एक तनाव लाता होगा।
ऐसे कर्मठ लोगों की समाज को बहुत आवश्यकता है।
🙏🙏🙏
——
मैं भी 90 के दशक में बचपन में सत्य नारायण तिवारी aka बऊ (उनके मामा के लड़के और मेरे सहपाठी) के निमंत्रण पर प्रतिवर्ष 1 जनवरी पर अखण्ड रामायण- रामचरितमानस पढ़ने जाता था।
उस समय सूर्यमणी चाचा की गति बड़ी तीव्र होती थी, जैसे कि तुलसी बाबा ने बालकाण्ड में लिखा था –
जेहि तुरंग पर रामु बिराजे,
गति बिलोकि खगनायकु लाजे।

(जिस घोड़े पर श्रीराम विराजमान हैं, उसकी चाल देखकर गरुड़ भी शर्मा जायँ।) 🙏
शिकागो से राजकुमार उपाध्याय सूर्यमणि जी के बारे में

आशा करता हूं कि सूर्यमणि जी शीघ्र स्वस्थ हो कर ऊर्जा और उत्फुल्लता के अपने स्वाभाविक मोड में जल्दी आ जायेंगे। यह भी आशा करता हूं कि उनके साथ उत्तरोत्तर अधिक समय व्यतीत करने के अवसर मिलेंगे।

राजा रामचंद्र की जय!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

5 thoughts on “सूर्यमणि तिवारी जी और मानस पाठ

  1. नहीं, ऐसे तो कभी नहीं देखा था उनको, प्रभु से प्रार्थना है कि उनको अति शीघ्र स्वस्थ करें।लगता है उम्र उन पार अपना आधिपत्य जमा रही है या अस्वस्थ होना,वो तो सदा मुस्कुराते हुए दिखते थे। 🙏🙏🙏

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  2. नहीं, ऐसे कभी नहीं देखा था उनको, प्रभु से प्रार्थना है कि उनको अति शीघ्र स्वस्थ करें। वो तो हमेशा लगता है उम्र उन पार अपना आधिपत्य जमा राही है या अस्वस्थ होना,सदा मुस्कुराते हुए दिखते थे। 🙏🙏

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