“ज्ञानदत्त पाण्डेय की मानसिक हलचल” नाम से ब्लॉग का सृजन 2007 में हुआ। तब मैं 52 साल का था। मुझे पता चला कि इण्टरनेट पर हिंदी में लिखा और पोस्ट किया जा सकता है। यह मेरे लिये सनसनीखेज बात थी। कई दिन तक उसका अहसास बना रहा। हिंदी में एक दो पंक्तियाँ लिखना भी बड़ी बात थी मेरे लिये। शुरू शुरू में ब्लॉग पोस्टें एक दो वाक्यों भर की थीं। एक बार तो ब्लॉगजगत में खिन्न हो कर मैंने यह प्रयोग छोड़ने की सोची। पर फिर वापस आ कर जम गया। और तब से अब तक वह लेखन बना हुआ है। अब, तब ब्लॉगजगत के शुरुआती दौर के लिक्खाड़ जा चुके हैं। कुछ किताब छाप कर बाकायदा लेखक बन गये। कुछ फेसबुकोन्मुख या यूटूब उन्मुख हो गये। मैं अब भी हिंदी ब्लॉग जगत में बना हूं।
मेरे पाठक “हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ (मंथर चाल)” से बढ़े हैं। मैंने नेटवर्किंग या किसी विचारगत गोलबंदी का सहारा नहीं लिया। सो जो पाठक हैं, वे शायद वही हैं, जो किसी विचारधारा के पूर्वाग्रह से परे, मेरे अटपटे लेखन को पसंद करते हैं।
दो वाक्यों से शुरू हुई; अब मेरी पोस्टें 700-1000 शब्दों तक होने लगी हैंं। कुछ तो 1500 से अधिक शब्दों की भी हैं। तीन सौ पेज की कुल 8-10 पुस्तकों का कच्चा माल इन ब्लॉग पोस्टों में है। पर अपने आलस्य के कारण कभी मैंने उन्हेंं पुस्तकाकार करने का श्रम नहीं किया; यद्यपि अनूप शुक्ल जी कह कह कर थक गये; और अब वे फोन भी नहीं करते। 😦
भविष्य में पुस्तक सृजन का यत्न होगा या नहीं; कह नहीं सकता।
“मानसिक हलचल” ब्लॉग की कीमत के बारे में शैलेश ने एक दिन यूं ही कहा – “भईया, आप अपने लिखे के मूल्यांकन का प्रयास नहीं करते। आपके ब्लॉग का ऑक्शन किया जाये तो पहली बोली जानते हैं कितने की जायेगी? … मैं एक करोड़ की बेस-बोली लगाऊंगा! और वास्तविक कीमत तो उससे कहीं ज्यादा होगी।”
एक करोड़?! इतने पैसे मुझे मिल जायें तो जिंदगी भर मालपुआ खाऊं! पर मुझे मालुम है कि शैलेश बड़बोला जीव है। बड़बोला है और उत्साही भी। इसलिये भाजपा में सही जगह है। कभी कभी मन में आता है कि अपने जुगाड़ से मुझे भी 25-50 हजार महीने की नौकरी दिलवा दे, जिसमें गांव में बैठे बैठे पांच-सात घण्टा रोज लगाया जा सके, तो मजा आ जाये। … वैसे मेरी पत्नीजी का कहना है – “तुम जितने आलसी हो, उस हिसाब से तुमसे बंध कर वह काम भी नहीं हो सकता।”
मुझसे मेरे बारे में मेरी पत्नीजी ज्यादा जानती हैं। इसमें संदेह नहीं।
“मानसिक हलचल” मेरे लिये ब्लॉग भर नहीं; मेरा प्रतिनिधि है – पारिवारिक प्रतिनिधि जो पूरी तरह अंतरंग हो। जैसे आदमी के लिये उसका बच्चा या पोता होता है, कुछ उसी तरह। उसे दुलारने का भी खूब मन होता है। मैंने ब्लॉग पर जितना समय ब्लॉग-पोस्ट लेखन में लगाया है; उससे कम ब्लॉग के सौंदर्य और प्रस्तुति की छवि में नहीं लगाया होगा। पंद्रह साल मेंं ब्लॉग से कमाई शून्य है, पर उसके प्रति आसक्ति बहुत है।
आजकल वह आसक्ति ब्लॉग के आईकॉन, हेडर और लोगो बनाने में इस्तेमाल हो रही है। मैने एन्ड्रॉइड एप्प Add Text का प्रयोग कर ब्लॉग के आईकॉन का सृजन किया। करीब 70-75 अलग अलग प्रकार के आईकॉन बनाये। अंतत एक पर मन जम गया।

ब्लॉग हेडर/लोगो बनाने के प्रयोग तो ब्लॉग बनाने के दौर से ही होते रहे हैं। करीब 2-3सौ हेडर बनाये होंगे। अब Add Text का इस्तेमाल कर चित्र का ट्रांसपेरेण्ट बैकग्राउण्ड में संयोजन और चित्र को बैकग्राउण्ड में फ्यूज कर उससे लोगो बनाने के बहुत से प्रयोग किये। इस एप्प का प्रीमियम वर्शन खरीद लिया। उससे करीब पांच सात दर्जन लोगो बनाये होंगे। पिछले तीन-चार लोगो इस प्रकार हैं –




अंतत: यह लोगो बना जो आज ब्लॉग के शीर्ष पर लगा है –

इस लोगो में ऊपर चिन्ह है – माह (मानसिक हलचल)। बीच की लाइन में नीले से लिखा है मानसिक हलचल। बीचोबीच बैकग्राउण्ड में मिलता सा ब्लॉग आईकॉन है। नीचे लिखा है – ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग।
मेरे ख्याल से अब मैं इस आईकॉन और लोगो निर्माण के काम को विराम दूंगा। कभी कभी सोचता हूं कि अगर किसी प्रोफेशनल से यह आईकॉन/लोगो बनवाता तो वह पांच दस हजार रुपये तो झटक ही लेता। कम से कम वही बचा लिये।

आईकॉन और लोगो डिजाइन ब्लॉग का दुलार है। जैसे मां अपने शिशु को नहला धुला कर पाउडर लगा, कपड़े पहना कर तैयार करती है; लगभग वैसा ही। … यह सब सम्पन्न करने के बाद मन हुआ कि आज इसी पर ही लिख दिया जाये, भले ही पाठकों को झेलना पड़े। 😆
वैसे आप भी Add Text एप्प के साथ ऐसी खुरपेंच कर सकते हैं। बशर्ते आप में वह खुरपेंचिया जीन्स हों। कई क्रियेटिव लोगों में भी वे जीन्स नहीं होते। 😦
विंडोज, मैक अथवा लिनक्स का प्रयोग करते हों तो “मुक्त-स्रोत” एवं मुफ्त gimp/inkscape सॉफ़्टवेयर का प्रयोग लोगो निर्माण के लिए कर सकते हैं। add text की जितनी खूबियाँ ऊपर बताई गई हैं, उतनी तो gimp/inkscape में हैं ही, और उससे अधिक भी सम्भावनाएँ हैं।
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धन्यवाद, देखूंगा!
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आप इतनी पुस्तकें पढ़ते हैं और रामायण भी, अपने विचारो को नए दृष्टिकोण से संग्रहित करके एक पुस्तक लिखिए। मैं बता रहा हूँ आप समाज के एक समूह को पठन पाठन के लिये कुछ दे सकते हैं।समाज में आप जैसे लोगों के विचार की अत्यंत आवश्यकता है।
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आपके सुझाव के लिये धन्यवाद, राजकुमार जी। आपके कहे पर लगता है कि अगले चार महीने में एक पुस्तक लिख डालने का मिशन बना लेना चाहिये! 🙂
कोशिश करता हूं।
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Respected Sir, I salute your creativity. In my opinion 2nd last design is better. Also white color of hindi text”Gyandatt Pandey ka blog” over orange is less visible over phone. A contrast colour is a better option. I can not type in hindi so it is in English.
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आपको टिप्पणी और सुझाव के लिए धन्यवाद रस्तोगी जी! 🙏🏼
एक परिवर्तन कर दिया है कण्ट्रास्ट को ध्यान रख कर।
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ज़बरदस्त ब्लॉग है आपका, आपकी बात बिलकुल सही है न जाने कितने ब्लॉग लिखने वाले आकर चले भी गए लेकिन आप तटस्थ जमे हुए है। यह सब केवल इसलिये कि यह आपका पैशन है और आपकी लेखन की शैली अद्भुत है। आजकल के लेखकों में गम्भीरता और humor नही मिलता जो आपमें है। बहुत बढ़िया लोगों है। 👌👌
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गम्भीरता और हास्य – इसकी जुगलबंदी तो वास्तव में कठिन और आनंददायक दोनों होगी. पर वह मुझमें है? 🤔
यह तो मुझे खुद देखना होगा.
व्यक्ति आत्म विशलेषण नहीं कर पाता. उसके लिए मित्रों की टिप्पणी की आवश्यकता होती ही है.
बहुत धन्यवाद इस आबजर्वेशन के लिए! 🙏🏼
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चलिए अच्छा है कुछ प्रगति हुई।
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