“टट्टू पर भारत दर्शन” – क्या शानदार किताब बनेगी अगर उसपर यात्रा की जाये! एक सहयात्री, दो टट्टू और एक फोल्डिंग टेण्ट ले कर निकला जाये। एक दिन में तीस किलोमीटर के आसपास चलते हुये साल भर में भ्रमण सम्पन्न किया जाये! :-)
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
“टट्टू पर भारत दर्शन” – क्या शानदार किताब बनेगी अगर उसपर यात्रा की जाये! एक सहयात्री, दो टट्टू और एक फोल्डिंग टेण्ट ले कर निकला जाये। एक दिन में तीस किलोमीटर के आसपास चलते हुये साल भर में भ्रमण सम्पन्न किया जाये! :-)