धूप सेंकते हुये इचिगो इची


घर परिसर में वनस्पति और जीव, रंग और गंध, समय के साथ उनकी वृद्धि और बदलाव – कितना कुछ है जिसे देखा-महसूसा जा सकता है। उसके लिये इन पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने की आवश्यकता नहीं कि यह हिंदू जीवन धारा है या बौद्ध-जेन।

पूस, पुआल और पराली और आबो हवा पर फुटकर विचार


जिसे देखो, वही खांस रहा है। पूरा भारत अभिशप्त है। कोई आश्चर्य नहीं कि एनवायरमेण्टल परफार्मेंस इण्डेक्स में भारत देश दुनिया के सभी 180 देशों में फिसड्डी है – एक सौ अस्सीवें स्थान पर है। कोई मीडिया वाला इसकी बात नहीं करता!

आयुष – कस्बे के राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में


भाजपा सरकार आयुर्वेद के लिये प्रयास कर रही है। … पर यह भी है कि प्रयास सरकारी भर है। जो सुविधायें विकसित की गयी हैं, उनका पूरा दोहन नहीं हो रहा।

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