ध्वस्त शृन्खला महाशक्तिपीठ


“वे लोग कह रहे थे भईया, क्या करोगे? इसे (मीनार को) तोड़ोगे? हम दीदी से बात करेंगे। रात में जहां रुकोगे तो हम सब मिलने आयेंगे।” – प्रेमसागर ने बताया कि उनके तेवर उग्र थे और भाषा धमकी वाली थी।

लहसुन का फेरीवाला


“गांव-गली आवाज लगा कर बेचूंगा। सामने क गांव में जाई क चोंकरब। जेके लई के होये, ऊ ले। (सामने के गांव में जा कर चिल्ला कर आवाज लगाऊंगा। जिसे लेना हो, लेगा।”

नवद्वीप, समाजबाड़ी और मायापुर


प्रेमसागर ने मुझे बताया – “फोन पर पिताजी ने मायापुर के लॉज वाले से कहा कि मेरा लड़का है, तीर्थ यात्रा पर निकला है। कोई गलत काम नहीं कर रहा। उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। तब जा कर लॉज वालों ने कमरा दिया है।”

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