बारिश, चीकू और हजारा


उस रोज रात में बारिश हो रही थी। चीकू का गाछ झूम रहा था। सारा ध्यान उसी पर जा रहा था। अगले दिन यह सोच कर कि तेज हवा में उसके फल टूट कर बरबाद न हो जायें, हमने सारे फल तोड़ कर एक छोटे टब में पकने रख दिये। कल एक दो पके फल खाये। बहुत मीठे!

ठिठकता मानसून


आज की बारिश के बाद सांप निकलेंगे। वैसे इतने सालों में यह तो पता चल गया है कि अधिकांशत: वे भले कोबरा जैसे दीखते हों पर हैं चूहे खाने वाले असाढ़िया सांप ही। फिर भी सावधान तो रहना ही होता है।

शादी का बदलता इण्टरव्यू


परिवार और समाज कितनी भी ऐंठ दिखा ले; वह आधुनिकता, बाजार की ताकत और सरकारों द्वारा किये गये व्यक्ति के एम्पावरमेण्ट और इन सब से ऊपर विश्व स्तर पर नौजवान और नवयुवतियों की मोबिलिटी के सामने हाँफ रहा है।

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