कोई विपन्न भी नहीं लगती। थोड़ा बहुत सिंगार किया है उन्होने। माथे पर टिकुली-सिंदूर है। शरीर पर चांदी के ही सही, पर गहने जरूर हैं। उनके पैरों में पायल और बिछुआ जरूर है।
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
गेंहू का खलिहान
थ्रेशिंग गतिविधियां देखना हमारे लिये कौतूहल शांत करने भर के लिये था। कृषक कार्य का समापन थ्रेशिंग से ही होता है। अनाज के दानों का जब ढेर लगता है तो जो तृप्ति कृषक को होती है वह अनुभव करने या देखने की ही चीज है।
चक्रधर दुबे
चक्रधर जी ने बताया कि वे सवेरे चार बजे बिस्तर छोड़ देते हैं। नित्यकर्म के बाद एक घंटा साइकिल चलाते हैं। दो ढ़ाई किलोमीटर धीरे, काहे कि वह शहर और गलियों में होता है। उसके बाद मेन रोड पर स्पीड बढ़ जाती है। साइकिल चलाने के बाद वे पैदल चलते हैं।
