वहां से गुजरते हुये; और मैं बहुधा पैदल ही गुजरता था; छनती रतलामी सेव की गंध अभी भी यादों में है। उनकी भट्टियां, बनियान पहने एक हांथ से झारा साधे और दूसरे से बेसन की लोई दबा कर नमकीन झारते लोगों की छवियां मन में बनी हुई हैं।
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
रुद्राभिषेक और रुद्र सूक्त
भला हो कल के प्रदोष काल के रुद्राभिषेक का। मैं रिश्ते के कारण श्रेष्ठ ब्राह्मण था सो मुझे बिना कुछ किये पण्डिज्जी लोगों के साथ पहले भोजन कराया गया। पांच सौ रुपये की दक्षिणा भी मिली (जो मैंने पूरी निष्ठा से अपनी पत्नीजी को दे दी!)
झुरई नदी और सीताकुण्ड
इलाका हराभरा है। मोर बहुत हैं। “भईया एक बात तो मुझे समझ आती है। मोर वहां रहते हैं जहां भगवान का वास हो। यहां मोर की बहुतायत देख कार यकीन होता है कि भगवान राम यहां विद्यमान हैं।
