फिर घूमने निकल लिये प्रेमसागर


उनकी यात्रा के निमित्त, भारत के कई स्थानों की मेरी जानकारी और फील शायद हवाई जहाज, ट्रेन या बस से यात्रा करने वाले अनेकानेक लोगों से ज्यादा ही है। प्रेमसागर पांड़े और ज्ञानदत्त पांड़े – इस यात्रा में परिपूरक भूमिका निभा रहे हैं।

मोबाइल से ब्लैक एण्ड ह्वाइट फोटो


बहुत से रंग, बहुत से बटन, बहुत से एडिटिंग के टूल – कुल मिला कर वैसा बन जाता है जैसा शादियों में ओवर मेक-अप किये औरतों का होता है। वे सुंदर औरतें मेक-अप की चुड़ैलों में रूपांतरित हुई दीखती हैं।

आम खतम हुये, लग्गियाँ उपेक्षित हो गयीं


अगले साल नये आम होंगे, अशोक नई लग्गियां बनायेगा। अभी तो ये सभी उपेक्षित हो गयी हैं। गौतमस्थान की अहिल्या की तरह। प्रतीक्षा करतीं कि कोई आम आयेंगे और उनका उद्धार करेंगे!

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