आत्मबुद्धि वाला भाव दिन भर में पांच दस मिनट रहता है। वह बढ़े। सोवत जागत आत्मबुद्धि रहे। तब कोई समस्या नहीं। देह की और जीव की दशा जैसी भी हो, क्या फर्क पड़ता है तब। स्थितप्रज्ञ बनना ध्येय होना चाहिये।
Author Archives: Gyan Dutt Pandey
विस्थापित – न घर के न घाट के
अपने गांव के चमरऊट को मैं गरीब समझता था। पर इनकी दशा तो उनसे कहीं नीचे की है। उनके पास तो घर की जमीन है। सरकार से मिली बिजली, चांपाकल, सड़क और वोट बैंक की ठसक है। इन विस्थापितों के पास वह सब है? शायद नहीं।
बिटिया आई थी, वापस गई
बस, वह चली जाती है। हम अंग्रेजी तरीके से हाथ हिलाते हैं।
वह आई और चली गयी। बेटियाँ आती ही जाने के लिये हैं!
