मेरे पड़ोस में यादव जी रहते हैं। सरल और मेहनतकश परिवार। घर का हर जीव जानता है कि काम मेहनत से चलता है। सवेरे सवेरे सब भोजन कर काम पर निकल जाते हैं। कोई नौकरी पर, कोई टेम्पो पर, कोई दुकान पर। यादव जी का चूल्हा और उपले की टोकरी अपनी छत पर जब हमContinue reading “मिट्टी का चूल्हा”
Category Archives: अर्थ
एक अजूबा है ल्हासा की रेल लाइन
कल तिब्बत पर लिखी पोस्ट पर टिप्पणियों से लगा कि लोग तिब्बत के राजनैतिक मसले से परिचित तो हैं, पर उदासीन हैं। लोग दलाई लामा की फोटो देखते देखते ऊब गये हैं। मुझे भी न बुद्धिज्म से जुड़ाव है न तिब्बत के सांस्कृतिक आइसोलेशन से। मुझे सिर्फ चीन की दादागिरी और एक देश-प्रांत के क्रूरContinue reading “एक अजूबा है ल्हासा की रेल लाइन”
आलू और कोल्डस्टोरेज
तेलियरगंज, इलाहाबाद में एक कोल्ड स्टोरेज है। उसके बाहर लम्बी कतारें लग रही हैं आलू से लदे ट्रकों-ट्रैक्टरों की। धूप मे जाने कितनी देर वे इन्तजार करते होंगे। कभी कभी मुझे लगता है कि घण्टो नहीं, दिनों तक प्रतीक्षा करते हैं। आलू की क्वालिटी तो प्रतीक्षा करते करते ही स्टोरेज से पहले डाउन हो जातीContinue reading “आलू और कोल्डस्टोरेज”
