अचानक सड़क के किनारे सामान बेचने वाले से बहुत स्तर ऊपर उठकर मुझे वह संत-दार्शनिक लगने लगे। एक प्रच्छन्न दार्शनिक (दार्शनिक इन डिस्गाइज!)। आज भी वह वहीं था – नारायण आश्रम के पेवमेण्ट पर बेल के फल लिये। उनके आकार के अनुसार दो ढेरियों में बांट रखा था फलों को। दो पोस्टों में जिक्र करContinue reading “प्रच्छन्न दार्शनिक”
Category Archives: आत्मविकास
कुछ पुरानी पोस्टें
यह कुछ पुरानी पोस्टें हैं। “मानसिक हलचल” में लेखन विविध प्रकार के हैं। ये तीनों पोस्ट विविध दिशाओं में बहती ठहरी हैं। आप देखने का कष्ट करें। इन्दारा कब उपेक्षित हो गया? बचपन में गांव का इँदारा (कुआँ) जीवन का केन्द्र होता था. खुरखुन्दे (असली नाम मातादीन) कँहार जबContinue reading “कुछ पुरानी पोस्टें”
मकोय
पेवमेण्ट पर दुकान लगाये मकोय बेचता बूढ़ा वह लगभग बूढ़ा आदमी सड़क के किनारे बैठा था। उसके पास एक झौआ (अरहर की डण्डी/रंहठा से बना पात्र), एक झोला, तराजू और सामने रखा सामान था। मैने पूछा – “यह क्या है?” उसे अन्दाज नहीं था कि मैं इतना मूर्ख हो सकता हूं कि वे वस्तुयें नContinue reading “मकोय”
