अनेक ग्रंथ भूत के पछतावे और भविष्य की चिंता की बजाय वर्तमान में जीने की बात कहते हैं। एकहार्ट टॉले की पुस्तक "द पावर ऑफ नाउ" तो एक बहुत सुन्दर पुस्तक है इस विषय पर। दीपक चोपड़ा का इस पुस्तक के बारे में कथन है – "कई सालों से आयी सर्वोत्तम पुस्तकों में से एक।Continue reading “भूत-वर्तमान-भविष्य”
Category Archives: आत्मविकास
कोल्हू का बैल बनाम मैं
“अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कह गये, सबके दाता राम॥” दास मलूका को देखा नहीं, वर्ना यह कामना उनसे करता कि राम जी की कृपा दिला कर परमानेण्ट पेंशन की व्यवस्था करा दें। कोल्हू के बैल की तरह न खटना पड़े। डा. अमर कुमार को यह कष्ट है कि कैसेContinue reading “कोल्हू का बैल बनाम मैं”
ब्लॉग अभिव्यक्ति का कम; रूपांतरण का माध्यम अधिक होना चाहिये
आप रोज ३०-४० ब्लॉग पढ़ते हैं। उनमें से पचास फीसदी पर तो टिप्पणी करते हैं ही। रोज आप को ऐसा कम ही मिलता है कि ब्लॉगर रूपांतरित हो रहे हों। एक ब्लॉगर संवेदनशील कवि है, तो वह उसी संवेदना की कवितायें ठेलता जाता है। फुरसतिया समय की कमी के बावजूद रूपांतरित नहीं होते। उनके दिमागContinue reading “ब्लॉग अभिव्यक्ति का कम; रूपांतरण का माध्यम अधिक होना चाहिये”
