बुढ़िया चपरासी


वह जब भी गलियारे में मुझे मिलती है, हाथ जोड़ कर नमस्ते करती है। उसका नाम मैं नहीं जानता। मैने बात करने का कभी यत्न नहीं किया – उसके अभिवादन का उत्तर भर दे देता हूं। उसे देख कर मुझे अपनी आजी की याद हो आती है। इतने छोटे कद की थीं वे (तनिक भीContinue reading “बुढ़िया चपरासी”

अमवसा स्नान, कोहरा और पारुल जायसवाल


अमवसा[1] का स्नान था दो फरवरी को। माघ-मेला क्षेत्र (संगम, प्रयाग) में तो शाही स्नान का दिन था। बहुत भीड़ रही होगी। मैं तो गंगाजी देखने अपने घर के पास शिवकुटी घाट पर ही गया। सवेरे छ बज गये थे जब घर से निकला; पर नदी किनारे कोहरा बहुत था। रेत में चलते हुये कभीContinue reading “अमवसा स्नान, कोहरा और पारुल जायसवाल”

सरपत की ओर


सिरसा के उत्तर में गंगा में मजे से पानी है। इलाहाबाद में यमुना मिलती हैं गंगा में। उसके बाद पनासा/सिरसा के पास टौंस। टौंस का पाट बहुत चौड़ा नहीं है, पर उसमें पानी उतना है जितना संगम में मिलने से पहले गंगा में है। अत: जब सिरसा के पहले टौंस का पानी गंगा में मिलताContinue reading “सरपत की ओर”

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