टेलीवीजन (या रेडियो) की जरूरत


लम्बे समय से मैने टेलीवीजन देखना बन्द कर रखा है। मैं फिल्म या सीरियल की कमी महसूस नहीं करता। पर कुछ दिन पहले सवेरे जब मैं अपनी मालगाड़ियों की पोजीशन ले रहा था तो मुझे बताया गया कि दादरी के पास लोग ट्रैक पर आ गये हैं और दोनो ओर से ट्रेन यातायात ठप है।Continue reading “टेलीवीजन (या रेडियो) की जरूरत”

महानता से छूटा तो गंगा को भागा


महानता से पगहा तुड़ा गंगा तट पर भागा। देखा कि तट के पास वाली मुख्य धारा में पानी और कम हो गया है। अब तो एक कुक्कुर भी आधा तैरता और आधा पैदल चलता पार कर टापू पर पंहुच गया। पानी कम होने के साथ किनारे छोडती गंगा माई की गंदगी और झलकने लगी। आगेContinue reading “महानता से छूटा तो गंगा को भागा”

नवान्न


वैशाखी बीत गई। नवान्न का इन्तजार है। नया गेहूं। बताते हैं अरहर अच्छी नहीं हुई। एक बेरियां की छीमी पुष्ट नहीं हुई कि फिर फूल आ गये। यूपोरियन अरहर तो चौपट, पता नहीं विदर्भ का क्या हाल है? नवान्न के बोरे पर बैठी, सहेजती मेरी पत्नीजी और गेंहूं के दाने परखते पिताजी ज्वान लोग गूगलContinue reading “नवान्न”

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