पारस पत्थर


पारस पत्थर साइकॉलॉजिकल कन्सेप्ट है; फिजिकल कन्सेप्ट नही। आप किसी भी क्षेत्र में लें – ब्लॉगरी में ही ले लें। कई पारस पत्थर मिलेंगे। माटी में दबे या पटखनी खाये! मै तिलस्म और विज्ञान के मध्य झूलता हूं। एटॉमिक संरचना की मानी जाये तो कोई ऐसा पारस पत्थर नहीं होता है जो लोहे को सोनाContinue reading “पारस पत्थर”

शिवजी की कचहरी


सूअरों, भैंसों और बजबजाती नालियों के बीच रहकर भी कुछ तो है, जिसपर मैं गर्व कर सकता हूं। सिद्धेश्वरनाथ जी के मन्दिर में वे अगरबत्ती जला रहे थे। मुझे लगा कि यही सज्जन बता सकते हैं शिवजी की कचहरी के बारे में। मेरे अन्दर का अफसर जागृत होता तो मैं सटक लिया होता। अफसर इसContinue reading “शिवजी की कचहरी”

बगुला और ऊंट


वह बगुला अकेला था। झुण्ड में नहीं। दूर दूर तक और कोई बगुला नहीं था। इस प्रकार का अकेला जीव मुझे जोनाथन लिविंगस्टन सीगल लगता है। मुझे लगा कि मेरा कैमरा उसकी फोटो नहीं ले पायेगा। पर शायद कुछ सीगलीयता मेरे कैमरे में भी आ गयी थी। उसकी फोटो उतर आई। बगुला मुझे ध्यान कीContinue reading “बगुला और ऊंट”

Design a site like this with WordPress.com
Get started