एक आदर्श बिजनेस


गंगा १०० कदम पर हैं नारायणी आश्रम| वहां सवेरे एक हजार लोग घूमने आते होंगे। गंगा के कछार में आजकल ककड़ी, नेनुआँ, खीरा, टमाटर और लौकी की फसल हो रही है। वहीं से यह सामग्री ले कर यह कुंजड़िन सवेरे सवेरे अपनी दुकान लगा कर बैठ जाती है। आज सवेरे साढ़े पांच बजे वह तैयारContinue reading “एक आदर्श बिजनेस”

ई पापा बहुत हरामी हौ!


मणियवा का बाप अस्पताल में भरती था। करीब सप्ताह भर रहा खैराती अस्पताल में। वहां मुफ्त खाना तो मिलता था, पर सादा। पीने को कुछ नहीं मिलता था। छूटने पर घर आते ही पन्नी (कच्ची शराब की पाउच) का सेवन किया। सेवनोपरान्त अपनी पत्नी पर कुण्ठा उतारने को प्रहार करने लगा। पत्नी बचने को बेबन्दContinue reading “ई पापा बहुत हरामी हौ!”

विकास में भी वृक्षों को जीने का मौका मिलना चाहिये


मैने हैं कहीं बोधिसत्त्व में बात की थी वन के पशु-पक्षियों पर करुणा के विषय में। श्री पंकज अवधिया अपनी बुधवासरीय पोस्ट में आज बात कर रहे हैं लगभग उसी प्रकार की सोच वृक्षों के विषय में रखने के लिये। इसमें एक तर्क और भी है – वृक्ष कितने कीमती हैं। उन्हे बचाने के लियेContinue reading “विकास में भी वृक्षों को जीने का मौका मिलना चाहिये”

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