<<< कोहरा – साइकिलवाद से पैदलवाद की ओर >>> नये साल का संकल्प कि रोज दस हजार से ज्यादा कदम चलना है; सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने जैसा कुछ साबित हुआ। साल की शुरुआत ही मौसम के खराब होने और कोहरा गहराने से हुई। साइकिल चलाना तो कोहरे में सही नहीं था, घर परिसर मेंContinue reading “कोहरा – साइकिलवाद से पैदलवाद की ओर”
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कुम्भ मेला स्पेशल का रेक
<<< कुम्भ मेला स्पेशल का रेक >>> मेरे घर के समीप के कटका रेलवे स्टेशन पर एक मेला स्पेशल का रेक स्टेबल हो गया है। मैं ध्यान से देखता हूं – इसमें अधिकांश उत्तर पूर्वीसीमांत रेलवे के कोच हैं। उनपर इंजन भी सिलीगुड़ी (इलेक्ट्रिक) शेड का लगा है। डब्ल्यू ए जी 9 इंजन का नामContinue reading “कुम्भ मेला स्पेशल का रेक”
ठल्लू के चूल्हे का एक चित्र
<<< ठल्लू के चूल्हे का एक चित्र >>> सवेरे कोहरा मामूली था। पत्नीजी और मैं बगल में रहते ठल्लू के घर तक यूं ही चले गये। उसके आंगन में एक ओर कोने में कऊड़ा जल रहा था। उसके आसपास बैठी उसकी पतोहू और छोटी लड़की सब्जी काट रही थीं। पतोहू के गोद में महीने भरContinue reading “ठल्लू के चूल्हे का एक चित्र”
