पता नहीं यह यहां स्वीकार या अस्वीकार करने से फर्क पड़ता है मैं झूठ भी बोलता हूं। झूठ बोलना मानव स्वभाव का बहुत स्वाभाविक अंग है। यह इससे भी सही लगता है कि सदाचार की पुस्तकों और पत्रिकाओं में बहुत कुछ बल इस बात पर होता है कि सच बोला जाये। पर मूल बात यहContinue reading “अपने आप से झूठ”
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ललही छठ
कल ललही छठ थी। हल छठ – हलधर (बलराम) का जन्म दिन। कभी यह प्रांत (उत्तरप्रदेश) मातृ-शक्ति पूजक हो गया होगा, या स्त्रियां संस्कृति को जिन्दा रखने वाली रह गई होंगी तो उसे ललही माता से जोड़ दिया उन्होने। स्त्रियां इस दिन हल चला कर उपजाया अन्न नहीं खातीं व्रत में। लिहाजा प्रयोग करती हैंContinue reading “ललही छठ”
बोकरिया, नन्दी, बेलपत्र और मधुमेह
अपनी पूअर फोटोग्राफी पर खीझ हुई। बोकरिया नन्दी के पैर पर पैर सटाये उनके माथे से टटका चढ़ाया बेलपत्र चबा रही थी। पर जब तक मैं कैमरा सेट करता वह उतरने की मुद्रा में आ चुकी थी! बेलपत्र? सुना है इसे पीस कर लेने से मधुमेह नहीं होता। बोकरिया को कभी मधुमेह नहीं होगा। पक्का।Continue reading “बोकरिया, नन्दी, बेलपत्र और मधुमेह”
