अवसादहारिणी गंगा


गंगा किनारे जाना अवसाद शमन करता है। उत्फुल्लता लाता है।  उस दिन मेरे रिश्ते में एक सज्जन श्री प्रवीणचन्द्र दुबे [1] मेरी मेरे घर आये थे और इस जगह पर एक मकान खरीद लेने की इच्छा व्यक्त कर रहे थे। मैं घर पर नहीं था, अत: उनसे मुलाकात नहीं हुई। टूटी सड़क, ओवरफ्लो करती नालियांContinue reading “अवसादहारिणी गंगा”

वृक्षारोपण ॥ बाटी प्रकृति है


  पण्डित शिवानन्द दुबे मेरे श्वसुर जी ने पौधे लगाये थे लगभग १५ वर्ष पहले। वे अब वृक्ष बन गये हैं। इस बार जब मैने देखा तो लगा कि वे धरती को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान कर गये थे। असल में एक व्यक्ति के पर्यावरण को योगदान को इससे आंका जाना चाहिये कि उसनेContinue reading “वृक्षारोपण ॥ बाटी प्रकृति है”

बरसात, सांप और सावधानी


बरसात का मौसम बस अब दस्तक देने ही वाला है। नाना प्रकार के साँपो के दस्तक देने का समय भी पास आ रहा है। शहरी कालोनियाँ जो खेतो को पाटकर बनी हैं या जंगल से सटे गाँवो में साँप घरो के अन्दर अक्सर आ जाते है। वैसे तो बिलों मे पानी भरने और उमस सेContinue reading “बरसात, सांप और सावधानी”

Design a site like this with WordPress.com
Get started