कल ललही छठ थी। हल छठ – हलधर (बलराम) का जन्म दिन। कभी यह प्रांत (उत्तरप्रदेश) मातृ-शक्ति पूजक हो गया होगा, या स्त्रियां संस्कृति को जिन्दा रखने वाली रह गई होंगी तो उसे ललही माता से जोड़ दिया उन्होने। स्त्रियां इस दिन हल चला कर उपजाया अन्न नहीं खातीं व्रत में। लिहाजा प्रयोग करती हैंContinue reading “ललही छठ”
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ट्विट ट्विट ट्वीट!
दीपक बाबा जी कहते हैं - ज्ञानदत्त जी, आपके ब्लॉग पर तो ट्वीट चल रहा है ….. चार लाइन आप लिख देते हो बाकी ३०-४० टिप्पणियाँ जगह पूरी कर देती हैं. कुल मिला कर हो गया एक लेख पूरा. शायद बुरा मान जाओ ……… पर मत मानना ……. इत्ता तो कह सकते हैं. दीपक जीContinue reading “ट्विट ट्विट ट्वीट!”
इतिहास में घूमना
सवेरे मैं अपने काम का खटराग छेडने से पहले थोडा आस-पास घूमता हूं। मेरा लड़का साथ में रहता है – शैडो की तरह। वह इस लिये कि (तथाकथित रूप से) बीमार उसका पिता अगर लड़खड़ा कर गिरे तो वह संभाल ले। कभी जरूरत नहीं पड़ी; पर क्या पता पड़ ही जाये! वैसे घूमना सड़क परContinue reading “इतिहास में घूमना”
