बड़े जिद्दी किस्म के लोग हैं। इन्हें अपने प्रॉविडेण्ट फण्ड और रिटायरमेण्ट का पैसा गिनना चाहिये। फेड आउट होने का उपक्रम करना चाहिये। पर ये रोज पोस्ट ठेल दे रहे हैं। ये ओल्डीज क्या लिखना चाह रहे हैं? क्या वह समाज के हित में है? क्या उसके टेकर्स हैं? मूकज्जी की वाणी एक बार खुलतीContinue reading “ओल्डीज के लिये ब्लॉगिंग स्पेस”
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पल्टी मारती गंगा
पिछली जुलाई में लिखी पोस्ट में गंगा की बढ़ी जल राशि की बात की थी मैने। अब गंगा विरल धारा के साथ मेरे घर के पास के शिवकुटी के घाट से पल्टी मार गई हैं फाफामऊ की तरफ। लिहाजा इस किनारे पर आधा किलोमीटर चौड़ा रेतीला कछार बन गया है। यह अभी और बढ़ेगा। गंगाContinue reading “पल्टी मारती गंगा”
भय विहीन हम
किसका भय है हमें? कौन मार सकता है? कौन हरा सकता है? कौन कर सकता है जलील? आभाजी के ब्लॉग पर दुष्यंत की गजल की पंक्तियां: पुराने पड़ गए डर, फेंक दो तुम भी ये कचरा आज बाहर फेंक दो तुम भी । मुझे सोचने का बहाना दे देती हैं। दैवीसम्पद की चर्चा करते हुयेContinue reading “भय विहीन हम”
