स्मार्ट और धूर्त बधिक


अंगुलिमाल को बुद्ध चाहिये थे, पश्चाताप के लिये। मुझे नहीं लगता कि जस्टिस तहिलियानी के कोर्ट में बुद्धत्व का वातावरण रहा होगा। खबरों के अनुसार तो वे स्वयं अचकचा गये थे इस कंफेशन से। अपना अजमल कसाब कसाई तो बहुत स्मार्ट निकला जी। उसे इतनी देर बाद ख्याल आया अपनी अन्तरात्मा का। रेलवे की भाषाContinue reading “स्मार्ट और धूर्त बधिक”

अवसादहारिणी गंगा


गंगा किनारे जाना अवसाद शमन करता है। उत्फुल्लता लाता है।  उस दिन मेरे रिश्ते में एक सज्जन श्री प्रवीणचन्द्र दुबे [1] मेरी मेरे घर आये थे और इस जगह पर एक मकान खरीद लेने की इच्छा व्यक्त कर रहे थे। मैं घर पर नहीं था, अत: उनसे मुलाकात नहीं हुई। टूटी सड़क, ओवरफ्लो करती नालियांContinue reading “अवसादहारिणी गंगा”

लीगल-एथिक्स (Legal Ethics) हीनता


मैं एस जी अब्बास काजमी को बतौर एक अकेले व्यक्ति, या दुराग्रही व्यक्ति (परवर्ट इण्डीवीजुअल) के रूप में नहीं लेता। वे कसाब को बचा ले जायें या नहीं, वह मुद्दा नहीं है (वे न बचा पायें तो शायद सरकार बचाये रखे)। मुद्दा यह है कि कोई व्यक्ति/वकील यह जानते हुये भी उसके पक्ष में गलती/खोटContinue reading “लीगल-एथिक्स (Legal Ethics) हीनता”

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