कुहासा


मौसम कुहासे का है। शाम होते कुहरा पसर जाता है। गलन बढ़ जाती है। ट्रेनों के चालक एक एक सिगनल देखने को धीमे होने लगते हैं। उनकी गति आधी या चौथाई रह जाती है। हम लोग जो आकलन लगाये रहते हैं कि इतनी ट्रेनें पार होंगी या इतने एसेट्स (इंजन, डिब्बे, चालक आदि) से हमContinue reading “कुहासा”

सोंइस


कल पहाड़ों के बारे में पढ़ा तो बरबस मुझे अपने बचपन की गंगा जी याद आ गयीं। कनिगड़ा के घाट (मेरे गांव के नजदीक का घाट) पर गंगाजी में बहुत पानी होता था और उसमें काले – भूरे रंग की सोंइस छप्प – छप्प करती थीं। लोगों के पास नहीं आती थीं। पर होती बहुतContinue reading “सोंइस”

भविष्य से वर्तमान में सम्पदा हस्तांतरण


थामस एल. फ्रीडमान का न्यूयार्क टाइम्स का ब्लॉग पढ़ना आनन्ददायक अनुभव है। बहुत कुछ नया मिलता है। और वह पढ़ कर मानसिक हलचल बड़ी बढ़िया रेण्डम वाक करती है। बहुत जियें थामस फ्रीडमान। मुझसे दो साल बड़े हैं उम्र में। और समझ में तो सदियों का अन्तर होगा! अपने हाल ही के पोस्ट में उन्होनेContinue reading “भविष्य से वर्तमान में सम्पदा हस्तांतरण”

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